________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir दया निरुपाधिकपरदुःखप्रहामेच्छा // 28 // तुष्टिः सन्तोषः // 30 // माता प्रमाता // 31 // भ्रान्तिरप्रमा // 32 // स.टी. या देवी सर्वभूतेषु दयारूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै० // 28 // या देवी सर्वभूतेषु तुष्टिरूपेण संस्थिता / नमस्तस्यैः // 30 // या देवी सर्वभूतेषु माटरूपेण संस्थिता / नमस्तस्यैः // 31 // या देवी सर्वभूतेषु भ्रान्तिरूपेण संस्थिता / नमस्तस्य 0 // 32 // इन्द्रियाणामधिष्ठात्री भूतानां चाखिलेषु या। भूतेषु सततं तस्य व्याप्ता देव्यै नमो नमः // 33 // चितिरूपेण या कृत्स्नमेतद्याप्य स्थिता जगत् / नमस्तस्य 0 // 34 // सुतासुरैः पूर्वमभीष्टसंश्रयात्तथा मुरेन्द्रेण दिनेषु सेविता। करोतु सा नः शुभहेतुरीश्वरी शुभानि भद्राण्यभिहन्तु चापदः // 35 // भूतानां पृथिव्यादीनां, भूतेषु प्राणिषु // 33 // चितिनिर्विषयकसंवित् // 34 // पूर्व महिषासुरकाले दिनेषु प्रतिदिनम् // 35 // For Private and Personal Use Only