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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir स.टी. बुद्धिः करणभूता, बोधो व्यवसायात्मको लक्षणं फलं यस्याः सा // 61 // दशभुजत्वेनेमां स्तौति खनि त्वं श्रौत्वमोश्वरी त्वं हीरत्व बुर्बोिधलक्षणा। लज्जा पुष्टिस्तथा तुष्टिस्त्व शान्ति: शान्तिरेव च // 61 // सुङ्गिली शूलिनी घोरा गदिनी चक्रिणी तथा / शंखिनी चापिनी बागा-भुशुण्डी-परिघायुधा॥६२॥ सौम्या सौम्यतराऽशेषसौम्येभ्यस्त्वतिसुन्दरी। परावराणां परमा त्वमेव परमेश्वरी॥ 63 // यच्च किञ्चित् क्वचिवस्तु सदसदाखिलात्मिके / तस्य सर्वस्य या शक्तिः सा त्व किं स्तूयसै तदा // 64 // यया त्वया जगत्स्रष्टा जगत्पातात्ति यो जगत्। सोऽपि निद्रावशं नीतः कस्त्वां स्तोतुमिहेश्वरः // 65 // विष्णु: शरीरग्रहणमहमौशान एव च। कारितास्ते यतोऽतस्त्वां कः स्तोतुं शक्तिमान् भवेत् // 66 // सा त्वमित्थं प्रभावैः खैरुदारैर्देवि ! संस्तुता। मोहयैतौ दुराधर्षावसुरौ मधुकैटभौ // 67 // नौति // 12 // परा ब्रह्मादयः अवराः शक्रादयः // 63 // 64 // 65 // 66 // 17 // For Private and Personal Use Only
SR No.020362
Book TitleGuptavati Yukta Durga Saptashati
Original Sutra AuthorN/A
Author
Publisher
Publication Year
Total Pages302
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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