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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsun Gyanmandir डांग, // श्लोक // शिरसाशिरमाक्रष्टंमुष्टिनामुष्टिमापतत् / शंखलाचक्रवत्तमन्योन्य' अ 19 मपिजघ्नतुः॥ 20 // टिका. एक बीजाना मस्तक एक बीजाने साथे पछाडेछे, एक 11 विजाने मुष्ठिनोना प्रहार करेछे, अने एक बिजाने वारे घडीए मूछींगत करी देछे. ॥श्लोक॥ ललाटेताडितोमुष्टिःभीमरामेणभारत॥ मुष्टिप्रहारनिहतोमूर्छितोनि | पपातह // 21 // टिका. एक समयतो बळरामे निमसेनने मुष्टिप्रहार कर्यो, ते करीने पिडा पामेलो एवो जे भिम तेतो मूर्टीगत थइने पिडातो हवो. 21 श्लोकापुनश्चस्मारितंतेनमुशलंनिसनुना // तदाचत्थितोभीमतिष्टतिष्टेतिचा ब्रवीत् // 22 // टीका. अने वळी ते भिमशेन मूीगत पड्यो ते समय, भिमने मर्ण प माडवा बळरामे झां मुशळ संनाळ्युं, ते समय तो निम सचेत थइने बलरामने कहे || छे के, नभो रहे उभो रहे, एम नापण कर्या करेछे. 22 ॥श्लोक // मुक्ताचवायुपुत्रेणबलस्योपरिसागदा // लग्नाचशिरसिवेगाधिरंबदु / नित्रतं 23 टीका-अने वळी एम नाषण करतो एवो जे निमसेन तेतो बळरामउपर गदा क्षेपण करेले, तेणे करीने बळरामना मस्तकमांथी रुधीरनो स्त्राव थायछे, एज | रीते त्यां युद्ध वःछे. ॥श्लोक // सपपातमहिप्रष्टोततःक्रूध्धश्चपांडवः॥रणेचप्रहनन्सर्वान्यादवानी 49 For Private and Personal Use Only
SR No.020172
Book TitleDangvopakhyanam
Original Sutra AuthorN/A
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Publisher
Publication Year
Total Pages132
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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