________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsun Gyanmandir कयुथपान्॥२४॥॥टीका. अने वळी जे समय बळराम एथ्वीनी पिठ उपर मुर्छौंग त पडया,तदनंतर निमसेन बिजा यादवो उपर प्रहार करतो भ्रमेछे, अने एम इच्छे बे के सर्वे यादवोनो हुँ नाश करी ना, ए रीते महा संग्राम मचे. 24 ॥श्लोक // किचिगीताश्रराजद्रभीमपाधैवचोऽवदन् / पाहिपाहीतिभीमेनकुर्मो माभयमेवच // 25 टीका. केटलाएक यादवोनी तरफना राजाओ तो भिमसेनने कहे छे के, भो राजेंद्र, अमारु रक्षण करो रे रक्षण करों, जेणे करीने अमारा पुत्रदारा श्रोना भेगा थइये, एम नबता पूर्वक दंडवत करेछे. श्लोका सचेतोभूतदारामोसस्मारहलमुशली मुक्तौभीमोपरिभारदैलोक्यस्यच संक्षयात् 26 // टिका हवे बळराम ते समय सचेत थाने पोतार्नु हळ मुसळ संभाळे बे, अने जूछे के यादवोनों घाण वाळयो, तेम समजीने नीम उपर हळ मुशल मुकता थका त्रैलोक्यनो भार मुकता हवा.२६ ॥श्लोक // तदाघनछदादेवाःभयधाहेतिचशः गदाचक्षिप्तानीमेनतयोपरिचना शितौ २७ाटिका अने ते समयतो आकाशमां झम घनछद होय नहीं तेज रीते देवमा त्रो नय पामी जायछे; के आ बळराम शुं करशे, एम जोतां जोतां तो बळरामनेयपण गदा मारीती हवी. For Private and Personal Use Only