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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsun Gyanmandir डांग, सर्वसमादिशन्॥२१॥ टिका-महेश्वर थकी वर पाम्यो एवो, अने महोटी मळीछे ग 41 दा ते जेने, एवो जे कोइ भीमसेन तेतो पोताना पूरमध्ये श्रावतो हवो, तेने जोड्ने पां 9 डवो प्रसन थया थका पोत पोतानां आयुद्ध संभाळी राखेछे.२१ श्लोक। वैराटगत्तरंचैवद्रुपदंससुतंनृपंपन्यांश्चैवतुभूपालान्कौरवान्पत्रमालिखन् 22 // टिका-तदनंतर पोतपोताना संबंधीत्रोने पत्र लखेछ, प्रथमतो वैराटमां उतरा कुंवर हस्तिनापुरमां दुर्योधनादि पांचाळ देशमां द्रुपद एम इष्ट मत्रिोए सहवर्तमान सर्वने लखी जणवेछे; एटलुज नही पण क्रश्ननी साथे लढवा सर्वने तेडावेछे. ___श्लोक // कृष्णेनलिखितंपत्रकौरवान्जन्मेजय // उभौगतौएकालंसेवीकृष्णध मयोः॥२३॥ टिका // वैशंपायन मुनि जन्मेजयने कदेछे के हे जन्मेजय, ए रीते कृष्ण पण पत्र लखीने कौरवादिकने तेडावेछे, ए बन्नेना सेवक एक कलाविच्छिन ह स्तिनापुरमा पहोंचे, अने एकज समयमांपत्रधातराष्टरने आपेले. 23 ॥श्लोक॥ तदाप्रोवाचसदसिधार्तराष्ट्रीस्वबांधवान्॥ हर्षेणमहतायुक्तोक्रश्नपांड वविग्रहात्॥२४॥ टिका-अत्यंत क्रष्ण पांडवनुं युद्ध जाणिने हर्ष पाम्यो, एवो जे दुर्योधन तेतो पोताना बांधवोने पत्र वांची संभळावे.२४ दुर्योधनन०॥ हवे दुर्योधन सभा मध्येशुं बोलतो हवो.॥श्लोक॥ करिष्यामो // 8 // For Private and Personal Use Only
SR No.020172
Book TitleDangvopakhyanam
Original Sutra AuthorN/A
Author
Publisher
Publication Year
Total Pages132
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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