________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsun Gyanmandir वयंकावैगतिंगांगेयभानुजपवंऋष्णस्यधर्मस्यएककालंसमिपतुः // 25 // टिका-हे गां गेय हे नीष्मपिता बाप हे भानुज हे भाइ करण हवे आपणे शंकरर्बु घटे . क्रश्नअने धर्मराजानुं पत्र एक कलाविच्छिन एकज समयमा श्राव्यु बे. ॥श्लोक // ब्रूहिवाक्यंयथातथ्ययेननोसुखमस्तिच॥सुयोधनवचः श्रुत्वाभीष्मो वाक्यंतदाब्रवीत्॥२६॥ टीका-जेणे करीने आपणो कोइथी विरोध न थाय, एरीते यथा न्याय ज्यम घटे त्यम शुं करीशुं, एवां वाक्य दुर्योधननां सांभळीने भिष्मपिता बोलेछे.॥२६॥ भीष्मउवाच ॥भीष्मपिताशुं बोलता हवा, // श्लोक ॥संबंधोयादवैःसाकंपांड वानोस्वगोत्रिणःनैकस्यपक्षोकर्तव्यःरणेकस्यापिकौरवः // 27 // टीका-अरे दिकरा त्रा पणे गादव साथेय संबंधछे, एटलुज नही पण पांडवोये स्वगोत्रीछे, माटे कोइनो प क्ष आपणे करवो नही एम घटे छे, ॥श्लोक॥ अस्मानिर्दष्यनियंचयुद्धचसमरांगणेनविष्यतिनविष्यंचहौसमौकृष्णपां डवौ॥२८॥ टीका-अापणे तो संग्रामना समीप रहीने बेनुं युद्ध जोर्बु ज्यम थनार हो य त्यम थाय,कृश्न ने पांडव सरखा गपीये छीये.. ॥श्लोक // इत्येवंनिश्चयंक्रत्वादूसौंसिक्षितौनपगतौदूतौयथातथ्यवातीतांश For Private and Personal Use Only