________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsun Gyanmandir डांग. ॥श्लोक। धर्मपुत्रस्यवचनं श्रुत्वाभीमोऽब्रवीद्वचः // मातुलेयस्यदुहृदंकथंरक्षित 28 बांधवः // 9 // टीका-धर्मराजानुं वचन सांनळीने भिम बोले छे, रे भ्रात क्रष्णनो द्रोह करनारने केम रखाय. 9 ॥श्लोक॥क्रोधेनजल्पमानस्तुअर्जुनोमंदीरंगतः॥ क्रत्वाक्रोधंधर्मपुत्रंगतोभामो स्ववेश्मनि // 30 // टीका-क्रोधवडे करीने बोलतोथको अर्जुन पण पोताना मंदिर प्रति गति करेछे, ए प्रकारेनिम पण पोताना मंदिर प्रत्ये गति करेछे. 10 श्लोक // युधिष्ठिरणमनसिक्रत्वाचनिश्चयंहदि अहंएकोकरिष्यामिसहायमेन बांधवाः // 11 // टीका-तदनंतर, युधिष्ठिर राजा,पोताना मनमां निश्चय करिने कहे छे केहेराजन् हुं एकलो तारूंरक्षणकरनारोछु,मारा बांधवतो मने सहाय थतानथी.११ ॥श्लोक // नयोग्यमेमदाराजक्रष्णसाकंमिथोरण : // दत्वाश्विनींचरणयोर्नमत्वं जीवितेच्छया॥१२॥ टीका-तेमांय पण मारे क्रष्णनी साथे युद्ध करवू घटारत नथी, एज हेतुमाटे जो जिवq इच्छे तो क्रष्णने नमन करिने अश्वनि प्राप्य. 12 ॥श्लोक // डांगवंचतदाचोक्तागतोधर्मःस्ववेश्मनि तस्यरात्र्यांव्यतितायांप्रभाते | डांगवोऽब्रवीत् // 13 // टीका-डांगवने एवां वचन कहिने धर्म राजाय पण पोताना घरमा जता हवा, अने तेम करते करते रात्रि वित्या पछी प्रभात थवाना समयमा 25 For Private and Personal Use Only