________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsun Gyanmandir शर्ण न राख्यो, ब्रह्मा, शिव, अने चंद्रवंशी कौरवादि तेमणे पण शर्ण ना राख्यो, | माटे तमारे शर्ण आव्यो . 4 ॥श्लोक। पंचैतेलोकपालांशायुयंसर्वेमहारथाः॥ शरणार्थीअहंराजनक्षधर्मच क्षत्र // 5 // टीका-हे समर्थ तमे पांचे तो लोकपाळना अंशछो अने माहारथीछो, | सत्यवादि जाणीने तमारे शर्ण आव्योछु माटे क्षत्रीनो टेक राखो. 5 .. ॥श्लोक॥ एतावदुत्कावचनंपपातधर्मपादयोः॥ अश्रुपूर्णोक्षणोदीनंदृष्टवाप्रोवाच / // पांडवः // 6 // टीका-एवां वचन कहीने धर्मराजाना, बे पग कच्चे माथु मुक्युं, धर्म राजा डांगवर्नु दिनपणुं जोइने बोलता हवा.६ युधिष्टिरउवाच॥ युधिष्टिर बोलता हवा ॥लोक॥ भोनीमरणशार्दूलःअर्जुनो नकुलःसमः // नदत्तंशरणंचास्यक्षत्रिधर्मोविनश्यति // 7 // टीका-हे रणने विशे शार्दुल हे भिम, हे अर्जुन, हे निकुळ, हे सहदेव, जो आ राजाने शर्ण नहीं राखिए तो क्षत्रि धर्मनो नाश थइ जाय छे. 7 ॥श्लोक॥ अस्माकंवल्लभःक्रष्णोनकरिष्यतिसंगरं संयुगेयदिचायातियुद्धकुर्मो वयंतदा // 8 // टीका-परंतु आपणने क्रष्ण घणा वाहाला छे, माटे आ राजानो संग न करो, जो संयोग एनो करशो तो श्रापणे युद्ध करवू पडशे. 8 For Private and Personal Use Only