________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsun Gyanmandir डांग. ॥श्लोक।नारदउवाच॥ उर्वशीचाप्सरानामईद्रस्यशापकारणात् // दिवसेतुर-17 गौरावौस्त्रिचिन्हायौवनेरता // 9 // टीका-नारदजी भगवान प्रत्ये शुं बोलता दवा; हे प्रभो ईदनी उर्वशी नामनी अप्सरा तेतो मुनिना शापना कारणथी दिवसे धोडी अने रात्रीए स्त्री चिन्हे थश्ने पृथ्वीमां रही. 9 . लोकराजानंडांगवंप्राप्तातवयोग्यासुरेश्वर // गृह्यगृह्यमहाबाहोनयोग्या तस्यनूपते // 10 // टीका-तेतो काशीमां डांगव राजाने त्यां प्राप्त थइ छे,परंतु ए भुपतिने योग्य नथी हे सुरेश्वर तमारे योग्य छे,माटे हे बुद्धिमान तमे मंगावी ल्यो.१० ॥श्लोक॥ एतावदुक्तावचनमतानंगतोमुनिः गतेऽथनारदेराजन्क्रष्णोदूतंच प्राहिणोत् // 11 // टीका-एवां वचन ऋष्ण प्रत्ये कहीने हे जन्मेजय राजन् नारद अंतर्धान होता हवा, अने मुनिना अंतर्धान थयापछी ऋष्ण पोताना दुतने प्रेरेछे.११ ॥श्लोक। लिखित्वापत्रकतेनस्वाचिन्हेनसमन्वितं त्वरितंसेवकेदत्तंगतःकाश्पांस्व सेनकः॥१२॥ टीका-रे दुत में जे कोइ मारी मोहोर छापवडे करीने या पत्र लख्यो ते तुं डांगवने पोहोचाड्य, एवां वचन सांभळीने ते जे कोइ सेवक तेतो उतावळो काशिए जश्ने डांगव राजाने पत्र अर्पण करतो हवो. 12 ॥श्लोक। डांगवस्यसभामध्यगतःस्वस्थेनचेतसा // नमस्कृत्यचराजानपत्रमये 16 For Private and Personal Use Only