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चिकित्सा चन्द्रोदय |
चार-चार माशे और अफीम १ माशे-इन दसों कर गोलियाँ बना लो । इन गोलियोंसे सिल या हो जाता है । दो-तीन बार परीक्षा की है ।
दवाओंको कूट- छान
उरःक्षत रोग आराम
नोट- - अगर ज्वर तेज़ हो, तो इस नुसख़ में रोगीके मिज़ाजको देखकर, थोड़ा-सा कपूर भी मिलाना चाहिये । कपूरके मिलानेसे ज्वर जल्दी घटता है । अगर रोगी के मरनेका भय हो, तो वासलीककी फ़स्द खोल देनी चाहिये । फिर उसके बाद ज्वर और खाँसीकी दवा करनी चाहिये | अगर मुँह से खून आता हो, तो छातीपर दवाके पानी में भीगे कपड़े रखकर या गुलख़रु आदि पिलाकर पहले खून बन्द कर देना चाहिये । जब तक बटी” वग़ैरः कोई मुख्य दवा न देनी चाहिये दूधका साबूदाना या दूध-भातके सिवाय और , खून बन्द हो जाय, जो दवा उचित समझी जाय देनी चाहिये ।
खून बन्द न हो जाय, "ऐलादि और खाने को भी दूध-मिश्री, कुछ न देना चाहिये । ज्यों ही
(२१) गेंगटे या केंकड़ेकी राख ४० माशे, निशास्ता ८ माशे, सफेद खशखाश = माशे, काली खुशखाश ८ माशे, साफ़ किये हुए खुर के बीज १२ माशे, छिली हुई मुलहटी १२ माशे, छिले हुए ख़तमी के बीज १२ माशे, सम्मग़ अरबी ४ माशे, कतीरा गोंद ४ माशे-इन सब दवाओंको पीस-छानकर " ईसबगोल " के लुआबमें घोटकर, टिकियाँ बनाकर छाया में सुखा लो। इसकी मात्रा - माशेकी है । इस टिकिया से दिन और सिल यांनी यक्ष्मा और उरःक्षत दोनों नाश हो जाते हैं ।
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(२२) अंजुबारकी जड़ चार तोले, मीठे अनार के छिलके २ तोले, हुब्बुल्लास २ तोले और बुरादा सफ़ेद चन्दन १८ माशे -- इन सबको रात के समय, एक सेर पानी में भिगो दो और मन्दी आगसे पकाओ । जब आधा पानी रह जाय, मलकर छान लो । फिर इसमें आध सेर मिश्री और ताजा बबूल की पत्तियों का स्वरस आध-पाव मिला दो और चाशनी पका लो। इस शर्बत को, दिनमें ६ बार, एक-एक तोलेकी मात्रासे, चाटने से, खून थूकना या खूनकी क्रय होना बन्द हो जाता है | परीक्षित है ।
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