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चिकित्सा-चन्द्रोदय । (४) भाँगरा, त्रिफला, कमल, सातला, लोहचूर्ण और गोबरइनके साथ तेल पकाकर लगानेसे दारुणक रोग नष्ट होता और गिरे हुए बाल सघन और टिकाऊ होते हैं।
(५) महुआकी छाल, कूट, उड़द और सेंधानोन,--इनको बराबरबराबर लेकर महीन पीस लो और शहदमें मिलाकर सिरपर लेप करो । इससे दारुणक रोग नष्ट हो जाता है।
(६) पोस्तको दूधमें पीसकर लेप करनेसे दारुणक रोग नाश हो जाता है।
नोट-पोस्ताके दाने या खसखासके बीजोंको दूधमें पीसकर लगायो ।
(७) चिरौंजीके बीज, मुलहटी, कूट, उड़द और सेंधानोन-- इनको एकत्र पीसकर और शहदमें मिलाकर लगानेसे दारुणक रोग जाता रहता है। ___ (८) आमकी गुठली और हरड़---दोनोंको समान-समान लेकर दूधमें पीसकर सिरमें लगानेसे दारुणक रोग चला जाता है ।
(६) नीबूका रस चीनीमें मिलाकर सिरपर लगाने और १६ घण्टे बाद सिर धोनेसे सिरकी रूसी-भूमी नष्ट हो जाती है।
(१०) चनेका बेसन आध घण्टे तक सिरके में भिगो रखो। फिर उसे शहदमें मिलाकर सिरपर मलो । इससे रूसी-भूसी और बफा नाश हो जाती है। ___ (११) साबुनसे सिर धोकर तेल लगानेसे रूसी-भूसी नष्ट हो जाती है।
(१२) चुकन्दरकी जड़ और चुकन्दरके पत्तोंका काढ़ा बनाकर, उसमें थोड़ा नमक मिला दो । इस काढ़ेको सिरपर डालनेसे रूसीभूसी और जूं नष्ट हो जाती हैं।
नोट-पारेको मूलीके पत्तोंके रसमें या पानोंके रसमें पीसकर, उसमें एक डोरा भिगो लो और उसे सिरमें रख दे।। सारी २।३ दिनमें मर जायँगी।
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