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चिकित्सा-चन्द्रोदय । (७) बड़के अंकुर और मसूर - इन दोनोंको गायके दृधमें पीसकर लगाने या लेप करनेसे झाँई नाश हो जाती है । परीक्षित है।
(८) वरनाकी छाल बकरीके दूधमें पीसकर लेप करनेसे झाँई आराम हो जाती है।
नोट-चरनाको हिन्दीमें वरना और बरुण तथा बंगलामें बरुण गाछ कहते हैं । यह वातपित्त-नाशक है ।
() जायफल पानीमें घिसकर लगानेसे झाँई चली जाती है।
(१०) बादामकी मींगी पानमें घिसकर मुखपर लेप करनेसे झाँई चली जाती है।
(११) मसूरकी दालको दूधमें पीस लो। फिर उसमें जरा-सा कपूर और घी मिला दो । इस ले पसे झाँई या नीली झाँई नाश होकर चेहरा कमल के जैसा मनोहर हो जाता है । परीक्षित है।
(१२) एक तरबूजमें छोटा-सा छेद कर लो और उसमें पाव-भर चाँवल भर दो। इसके बाद उस छेदका मुख उसी तरबूज के टुकड़ेसे बन्द करके, सात दिन तक, तरबूजको रखा रहने दो। आठवें दिन, चाँवलोंको निकालकर सुखा लो। ऐसे चाँवलोंको महीन पीसकर, उबटनकी तरह, नित्य, मुखपर लगानेसे झाँई आदि नाश हो जाते हैं।
(१३) आमकी बिजली और जामुनकी गुठली लगानेसे झाँई नाश हो जाती है।
(१४) नाजबोंकी पत्ती और तुलसीकी पत्ती दोनोंको पीसकर मुखपर मलनेसे झाँई या काले दाग नष्ट हो जाते हैं ।
(१५) पहले कितने ही दिनों तक, कुलीजन पानीमें पीस-पीसकर झाँई या काले दागोंपर लगाओ। इससे चमड़ेके भीतरकी स्याही नष्ट हो जायगी। इसके कुछ दिन लगानेके बाद, चाँवलोंको पानीमें महीन पीसकर उन्हीं दागोंके स्थानोंपर लेप कर दो। इनसे चमड़ेका रङ्ग एकसा हो जायगा।
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