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नर-नारीकी जननेन्द्रियोंका वर्णन । ___ बालक होनेके बारह या चौदह दिनों तक योनिसे थोड़ा-थोड़ा पतला पदार्थ गिरा करता है । इसमें जियादा हिस्सा खूनका होता है। पहले खून निकलता है, पर पीछे वह कम होने लगता है। तीनचार दिन बाद यूँ दरा-दरा पानी-सा गिरता है । एक हफ्ते बाद वह स्राव पीला हो जाता है। इस स्रावमें खून के सिवा और भी अनेक चीजें होती हैं । इसमें एक तरहकी बू भी आया करती है । यदि भीतरसे
आनेवाले पदार्थमें बदबू हो या उसका निकलना कम पड़ जाय या वह क़तई बन्द हो जाय, तो ग़फ़लत छोड़कर इलाज करना चाहिये ।
धन्यवाद ! इस छोटे-से लेखक लिखनेमें हमें "हमारी शरीर-रचना" नामकी पुस्तक और डाक्टर कात्तिक चन्द्रदत्त महोदय एल० एम० एस० भूतपूर्व सिविल सर्जन हैदराबाद, दकनसे, बहुत सहायता मिली है, अतः हम उक्त पुस्तकक लेखक महोदय और डाक्टर साहब मजकूरको अशेष धन्यवाद देते हैं । डाक्टर त्रिलोकीनाथजीको हम विशेष रूपसे धन्यवाद इसलिये देते हैं, कि हम उनके ऋणी सबसे अधिक हैं । हमने इस खण्डमें स्त्री-रोगोंकी चिकित्सा लिखी है। उसका अधिक सम्बन्ध नर-नारीकी जननेन्द्रियोंस है, इसलिए हमें शरीरके इन अङ्गोंके सम्बन्धमें कुछ लिखना जरूरी था। यह मसाला हमें उक्त ग्रन्थमें अच्छा मिला, इसीसे हम लोभ संवरण न कर सके ।
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