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चिकित्सा-चन्द्रोदय । हो जाती है। जब बच्चेका सिर गर्भाशयके मुँहमें आ पड़ता है, तब उसके आगे जो पानीकी पोटली होती है, वह भारी दबाव पड़नेसे फट जाती और गर्भका जल बह-बहकर योनिके बाहर आने लगता है । इस जल-भरी पोटलीके फूटनेके साथ जरा-सा खून भी दिखाई देता है। गर्भ-जलसे योनि और भग खूब तर हो जाते हैं और इसी वजहसे बच्चा सहजमें फिसल आता है।
बाहर आते हो बच्चा क्यों रोता है ? । ज्योंही बच्चा योनिके बाहर आता है, वह जोरसे चिल्लाता है। यह चिल्लाकर रोना मुफीद है, इससे वह श्वास लेता और हवा पहली ही बार उसके फुफ्फुसोंमें घुसती है। अगर बालक होते ही नहीं रोता, तो उसके जीनेमें सन्देह हो जाता है; यानी वह मर जाता है। अगर पेटसे मरा बालक निकलता है, तो वह नहीं रोता ।
अपरा या जेरनालके देरसे निकलने में हानि ।
अगर बच्चा बाहर आनेके एक घण्टेके अन्दर अपरा या जेरनाल वगैरः बाहर न आ जावें, तो खराबीका खौफ है। इन्हें दाईको फौरन निकालनेके उपाय करने चाहिएँ । बच्चा होनेके बाद पेटसे एक लोथड़ासा और निकलता है, उसीको अपरा या जेरनाल कहते हैं।
प्रसूताके लिये हिदायत । जब बच्चा और बच्चे के बाद अपरा या जेरनाल गर्भाशयसे निकल आते हैं, तब गर्भाशय अपनी पहली ही हालतमें होने लगता है । यहाँ तक कि चौदह या पन्द्रह दिनोंमें वह इतना छोटा हो जाता है कि, वस्तिगहर या पेड़ में घुस जाता है । जब तक गर्भाशय पेड़ में न घुस जाय, प्रसूताको चलने फिरने और मिहनत करनेसे बचना चाहिये। चालीस या बयालीस दिनमें गर्भाशय ठीक अपनी असली हालतमें हो जाता है, तब फिर किसी बातका भय नहीं रहता।
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