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नर-नारीकी जननेन्द्रियोंका वर्णन । पीड़ा नहीं होती; लेकिन अमीरोंकी स्त्रियाँ अथवा नीचे लिखी स्त्रियाँ बच्चा जननेमें बड़ी तकलीफ़ सहती हैं:--
(१) जो दुर्बल या नाजुक होती हैं। (२) जो कम उम्रमें बच्चा जनती हैं । (३) जो अधिक अमीर होती हैं। (४) जो किसी भी तरहकी मिहनत नहीं करतीं।
(५) जिनका वस्ति-गह्वर अच्छी तरह बना हुआ नहीं होता, जिनका वस्ति-गह्वर विशाल-लम्बा-चौड़ा न होकर तंग होता है और जिनके वस्ति-गह्वरकी हड्डियाँ किसी रोगसे मुड़ जाती हैं।
(६) जो ईश्वरीय नियमों या कानून-कुदरतके खिलाफ काम करती हैं।
(७) जिनका स्वभाव चंचल होता है। (८) जो बच्चा जननेसे डरती हैं।
बच्चा जननेके समय स्त्रीके दर्द क्यों चलते हैं ? बच्चा जननेका समय नज़दीक होनेपर, स्त्रीके गर्भाशयका मांस सुकड़ने लगता है, पर वह एक-दमसे नहीं सुकड़ जाता, धीरे-धीरे सुकड़ता है। इसी सुकड़नेसे लहरोंके साथ दर्द या वेदना होती है । मांसके सुकड़नेसे गर्भाशयकी भीतरी जगह कम होने लगती है
और जगहकी कमी एवं गर्भाशयकी दीवारोंके दबावसे गर्भाशयके भीतरकी चीजें--बच्चा और जेरनाल वगैरः बाहर निकलना चाहते हैं। इतनी तंग जगहोंमेंसे बच्चा अासानीसे
कैसे निकल पाता है ? जब बच्चा होनेवाला होता है, तब गर्भके पानीसे भरी हुई पोटलीसी गर्भाशयके मुंहमें आकर अड़ जाती है । इससे गर्भाशयका मुँह चौड़ा हो जाता है और बालकके सिर निकलने लायक जगह
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