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चिकित्सा-चन्द्रोदय। (१३) बच, अतीस, मोथा, देवदारु, सोंठ, शतावर और अनन्तमूल-इन सातोंको मिलाकर कुल दो या अढ़ाई तोले लो और काढ़ा बनाकर स्त्रीको पिलाओ । इस नुसख्नेसे स्तनों में दूध बढ़ जाता है।
(१४) सफ़ेद जीरा दो तोले, इलायचीके बीज एक तोले, मग़ज़ खीरेका बीस दाना और मग़जकद्द बीस दाना--इन सबको पीसकूटकर छान लो। इस दवाके सेवन करनेसे स्तनों में दूध बढ़ता और शुद्ध--निर्दोष होता है। ___ सेवन-विधि--अगर जाड़ेका मौसम हो, तो एक-एक मात्रामें पिसी मिश्री मिलाकर स्त्रीको फँकाओ और ऊपरसे बकरीका दूध पिला दो। अगर मौसम गरमीका हो, तो इस दवाको सिलपर घोट-पीसकर 'पानीमें छान लो, पीछे शर्बत नीलोफर मिलाकर पिला दो । केवल शर्बत नीलोफर पिलानेसे ही दूध बढ़ जाता है।
नोट-नं. १, ६, ७, ८, ६ और १० के नुसत्र परीक्षित हैं। नं० ११, १२ और १३ भी अच्छे हैं।
ऋतुकारुधिर अधिक बहना
बन्द करनेके उपाय ।
Hease% ब रजोधर्मके दिनोंको छोड़कर, स्त्रीकी योनिसे खून *ज गिरता है; यानी नियत दिनोंको छोड़कर, पीछे भी खून
GR गिरता है, तो बोल-चालकी भाषामें उसे “पैर पड़ने या पैर जारी होने का रोग कहते हैं । हकीम लोग इस रोगको "इस्तखासा" कहते हैं । हमारे यहाँ इस रोगका वही इलाज है, जो प्रदर रोगका है। फिर भी हम नीचे चन्द ग़रीबी नुसने
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