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स्त्री-रोगोंकी चिकित्सा--प्रसूतिका-चिकित्सा। ५२१ - (३) अजमोद, अनीसू, बोजीदाँ और तुरुम सोया-इनको पीसछान और शहदमें मिलाकर, मात्राके साथ सेवन करनेसे स्तनोंमें दूध बढ़ जाता है।
(४) अर्क स्वर्णवल्ली सेवन करनेसे दूध बढ़ता और मस्तकशूल आराम हो जाता है।
(५) अर्क सोमवल्ली पीनेसे स्तनोंमें दूध बढ़ जाता है । यह रसायन है।
(६) कमलगट्टोंका पिसा-छना चूर्ण दूध और दहीके साथ खानेसे स्तनों में खूब दूध आता है।
(७) केवल विदारीकन्दका स्वरस पीनेसे स्तनोंमें खूब दूध आता है।
(८) दूधमें सफेद जीरा मिलाकर पीनेसे स्तनों में खूब दूध आता है । कहा है:
अक्षीरा स्त्री पिबेज्जीरं सक्षीरं सा पयस्विनी । बिना दूधवाली स्त्री अगर दूधमें जीरा पीवे, तो दूधवाली हो जाय ।
(६) शतावरको दूधमें पीसकर पीनेसे स्तनोंमें दूध बढ़ता है।
(१०) गरम दूधके साथ पीपरोंका पिसा-छना चूर्ण पीनेसे स्तनोंमें दूध बढ़ता है।
(११) बनकपासकी जड़ और ईखकी जड़-दोनों बराबरबराबर लेकर काँजीमें पीस लो। इसमेंसे ६ माशे दवा खानेसे स्तनोंमें दूध बढ़ता है।
(१२) हल्दी, दारुहल्दी, इन्द्रजौ, मुलेठी और चकबड़--इन पाँचोंको मिलाकर दो या अढ़ाई तोले लेकर काढ़ा बनाने और पीनेसे स्तनोंमें दूध बढ़ जाता है।
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