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स्त्री-रोगोंकी चिकित्सा-प्रसव-विलम्ब-चिकित्सा। ४७५ (ख) जननेवालीको समझा दो, कि जब दर्द उठे तब हल्लागुल्ला मत करना, सन्तोष और सबसे काम लेना तथा पाँवपर जोर देना, जिससे जोरका असर अन्दर पहुंचे।
(ग) जब जननेके आसार नमूदार हों, स्त्रीको नहानेके स्थान या सोहरमें ले जाओ। बहुत-सा गर्म जल उसके सिरपर डालो
और तेलकी मालिश करो। स्त्रीसे कहो, कि थोड़ी दूर चल-चलकर उकरू बैठे।
(घ) ऐसे समयमें दाईको इनमेंसे कोई चीज़ गर्भाशयके मुँहपर मलनी और लगानी चाहिये--अलसीके बीजोंका लुआब या तिलीके तेलका शीरा, बादामका तेल या मुर्गेकी चर्बी या बतखकी चर्बी बनफशेके तेलमें मिली हुई । गर्भाशयपर इनमेंसे कोई-सी चीज़ मलने या लगानेसे बच्चा आसानीसे फिसलकर निकल आता है।
(ङ) जब जरा-जरा दर्द उठे, तभी जननेवालीको मलमूत्र आदिसे निपट लेना चाहिये। अगर अजीर्ण हो, तो नर्म हुकनेसे मलको निकाल देना चाहिये। ___ नोट-ये सब उपाय बच्चा जननेवाली स्त्रियोंके लिये लाभदायक हैं। पर, जिनको बालक जनते समय कष्ट हुअा ही करता है, उनके लिये तो इनका किया जाना विशेष रूपसे परमावश्यक है ।
शीघ्र प्रसव करानेवाले उपाय । - (१) "इलाजुल गुर्वा' में लिखा है--चकमक पत्थर कपड़े में लपेटकर स्त्रीकी रानपर बाँध देनेसे बच्चा आसानीसे हो जाता है। पर "तिब्बे अकबरी” में लिखा है-अगर स्त्री चकमक पत्थरको बायें हाथमें रखे, तो सुखसे बच्चा हो जाय । कह नहीं सकते, इनमेंसे कौनसी विधि ठीक है, पर चकमक पत्थरकी राय दोनोंने ही दी है।
(२) घोड़ेकी लीद और कबूतरकी बीट पानी में घोलकर स्त्रीको पिला देनेसे बालक सुखसे हो जाता है।
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