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स्त्री-रोगोंकी चिकित्सा-बाँझ बनानेवाली दवाएँ। ४५७' - (३६) मैथुनके बाद, योनिमें कालीमिर्च रखनेसे गर्भ नहीं रहता।
(३७) अगर स्त्री ३ माशे ६ रत्ती नील खा ले तो कदापि गर्भवती न हो।
(३८) अगर स्त्री चमेलीकी एक कली निगल ले, तो एक साल तक गर्भवती न हो। . . (३६) अगर स्त्री एक रेंडीका गूदा निगल जाय, तो एक साल तक गर्भवती न हो। अगर दो रेडीका गूदा निगल ले, तो दो साल तक गर्भ न रहे। .
(४०) मैथुनके समय खानेका नोन भगमें रखनेसे गर्भ नहीं रहता। - (४१ ) अगर किसी लड़केका पहला दाँत गिरनेवाला हो, तो
औरत उसका ध्यान रखे । ज्यों ही वह गिरे, उसको हाथमें ले ले, जमीनपर न गिरने दे। फिर उस दाँतको चाँदीके जन्तरमें मढ़ाकर अपनी भुजापर बाँध ले । इस उपायसे हर्गिज़ गर्भ न रहेगा।
( ४२ ) अगर स्त्री मैथुनके समय, मैंडककी हड्डी अपने पास रक्खे, तो कदापि गर्भ न रहे ।
(४३ ) काकुजके सात दाने, ऋतु-धर्मके पीछे, निगल लेनेसे स्त्रीको गर्भ नहीं रहता।
(४४) अगर स्त्री बाँझ होना चाहे, तो थूहरकी लकड़ी लाकर छायामें सुखाले। सूखनेपर उसे जलाकर राख कर ले और राखको पीस-छानकर रख ले। फिर इसमेंसे एक माशे-भर राख लेकर, उसमें माशे-भर शक्कर मिला दे और खा जावे। इस तरह २१ दिन तक इस राखके खानेसे गर्भ-धारण-शक्ति मारी जाती है और गर्भ नहीं रहता।. । (४५) मनुष्यके कानका मैल और एक दाना बाकलेका पश्मीनेमें बाँधकर, स्त्री अपने गले में लटका ले । जब तक गलेमें यह रहेगा, हर्गिज गर्भ न रहेगा।
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