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- चिकित्सा-चन्द्रोदय। ... '. (२५) ऋतुकालमें, तीन दिन तक, एक छटाँक पुराना गुड़ नित्य खानेसे गर्भ नहीं रहता। __(२६) ढाकके बीजोंकी राखमें हींग मिलाकर खाने और ऊपरसे दूध पीनेसे गर्भ नहीं रहता।
(२७) अगर स्त्री बाँझ होना चाहे तो उसे हाथीके गूका निचोड़ा हुआ रस एक तोले, थोड़ेसे शहदमें मिलाकर, ऋतुधर्म होनेके पीछे, तीन दिनों तक पीना चाहिये।
नोट-हाथीकी सूखी लीद शहदमें मिलाकर खानेसे जीते-जी गर्भ नहीं रहता । हाथीकी लीद योनिपर रखने से भी गर्भ नहीं रहता ।
(२८) हाथीके गूमें भिगोई हुई बत्ती योनिमें रखनेसे स्त्री बाँझ हो जाती है।
(२६ ) नौसादर और फिटकरी बराबर-बराबर लेकर पानीके साथ पीसकर, ऋतुके बाद, योनिमें रखनेसे स्त्री बाँझ हो जाती है।
(३०) अगर स्त्री हर सवेरे एक लौंग निगलती रहे, तो उसे कभी ग नर्भ रहे।
(३१ ) ऋतुके दिनोंके बाद, इस्पन्द नागौरी जलाकर खानेसे स्त्रीको गर्भ नहीं रहता।
(३२) अगर मर्द लिङ्गके सिरमें मीठा तेल और नमक मलकर मैथुन करे, तो गर्भ न रहे । इस दशामें गर्भाशय वीर्यको नहीं लेता।
(३३ ) अगर स्त्री रजोदर्शन होनेके पहले दिनसे लगाकर उन्नीसवें दिन तक, हल्दी पीस-पीसकर खाय, तो उसे हरगिज़ गर्भ न रहे। - (३४) अगर स्त्री चमेलीकी जड़ और गुले चीनियाका जीरा बराबर-बराबर लेकर और पीसकर, रजोधर्म होनेके पहले दिनसे तीसरे दिन तक-तीन दिन खाती और ऊपरसे एक-एक घुट पानी पीती है, तो कभी गर्भवती नहीं होती। ' (३५) फर्राश वृक्षकी छाल और गुड़ औटाकर पीनेसे स्त्रीको गर्भ नहीं रहता।
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