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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir Arum स्त्री-रोगोंकी चिकित्सा-बाँझ बनानेवाली दवाएँ। ४५५ (१२) चूहेकी मैंगनी शहदमें मिलाकर योनिमें रखनेसे गर्भ नहीं रहता। . (१३) खच्चरका पेशाब और लोहेका बुझा हुआ पानी मिलाकर अगर स्त्री पीती है, तो गर्भ नहीं रहता। ___ (१४) सूखी हाथीकी लीद शहदमें मिलाकर खानेसे जन्म-भर गर्भ नहीं रहता। (१५) हाथीकी लीद योनिपर रखनेसे भी गर्भ नहीं रहता। . (१६) पाखानभेद महँदीमें मिलाकर स्त्रीके हाथोंपर लगानेसे गर्भ नहीं रहता और रजोधर्म होना बन्द हो जाता है। (१७ ) पहली बार जननेवाली स्त्रीके बच्चा जननेके बाद जो खून निकलता है, उसे यदि कोई स्त्री सारे शरीरपर मल ले, तो उम्र-भर गर्भवती न हो। (१८) लोहेका बुझाया हुआ पानी पीनेसे गर्भ नहीं रहता। (१६) जो स्त्री ऋतुकालमें गुड़हलके फूलोंको आरनाल नामकी काँजीमें पीसकर, तीन दिन तक पीती और चार तोले-भर उत्तम पुराना गुड़ सेवन करती है, वह हरगिज़ गर्भवती नहीं होती। (२०) तालीसपत्र और गेरू--इन दोनोंको दो तोले शीतल जलके साथ चार दिन पीनेसे गर्भ नहीं रहता--स्त्री बाँझ हो जाती है। (२१) ऋतुवती नारी अगर ढाकके बीज जलमें घोटकर तीन दिन तक पीती है तो बाँझ हो जाती है । परीक्षित है। ... (२२) ऋतुवती स्त्री अगर सात या आठ दिन तक खीरेके बीज पीती है, तो बाँझ हो जाती है। - (२३) बेरकी लाख औटाकर और तेलमें मिलाकर, तीन दिन तक, दो-दो तोले रोज़ पीनेसे गर्भ नहीं रहता। - (२४ ) जसवन्तके एक तोले फूल काँजीमें पीसकर, ऋतुकालमें पीनेसे गर्भ नहीं रहता। For Private and Personal Use Only
SR No.020158
Book TitleChikitsa Chandrodaya Part 05
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHaridas
PublisherHaridas
Publication Year1937
Total Pages720
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
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