________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
mmmmmam
४५८
चिकित्सा-चन्द्रोदय । ..... .. (४६) अगर स्त्री अपने बेटेके पेशाबपर पेशाब करे, तो उसे कभी गर्भ न रहे।
(४७) अगर स्त्री हर महीने थोड़ा खच्चरका पेशाब पी लिया करे, तो कभी गर्भ न रहे।
(४८) अगर स्त्री चाहे कि मैं गर्भवती न होऊँ , तो उसे माजूफल पानीके साथ महीन पीसकर, उसमें रूई भिगोकर, उसका गोला-सा बनाकर, मैथुनसे पहले, अपनी योनिमें रख लेना चाहिये । इस उपायसे गर्भ नहीं रहता और भोगके बाद अगर गर्भाशय में पीड़ा होती है, तो वह भी मिट जाती है।
(४६) पुरुषको चाहिये, मैथुनके समय स्त्रीको बहुत आलिंगन न करे, उसके पाँवोंको ऊँचे न उठावे और जब वीर्य छुटने लगे, लिंगको गर्भाशयसे दूर कर ले, यानी बाहरकी ओर खींच ले। स्त्री
और पुरुष दोनों साथ-साथ न छूटें । ज्यों ही वीर्य निकल जाय, दोनों झट अलग हो जायँ । स्त्री मैथुनसे निपटते ही जल्दी उठ खड़ी हो
और आगेकी ओर सात या नौ बार कूदे और छीकें ले, जिससे गर्भाशयमें गया हुआ वीर्य भी निकल पड़े। इन बातोंके सिवा पुरुष मैथुन करते समय लिंगकी सुपारीपर तिलीका तेल लगा ले। इस उपायसे वीर्य फिसल जाता है और गर्भाशयमें नहीं ठहरता। सबसे अच्छा उपाय यह है, कि लिंगपर पतला कपड़ा लपेटकर मैथुन करे, जिससे वीर्य कपड़ेमें ही रह जाय ।
फ्रान्स देशकी विलासिनी रमणियाँ बच्चा जनना पसन्द नहीं करती, इसलिये वहाँवालोंने एक प्रकारकी लिंगकी टोपियाँ बनाई हैं । मैथुन करते समय मर्द उन टोपियोंको लिंगपर चंदा लेते हैं । इससे वीर्य उन टोपियोंमें ही रह जाता है और स्त्रियोंको गर्भ नहीं रहता। ऐसी टोपी कलकत्तेमें भी आ गई हैं।
For Private and Personal Use Only