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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ४४५ उटंगन ... ... स्त्री-रोगोंकी चिकित्सा-बाँझका इलाज । ४॥ माशे अजवायन . ... ... ४॥ ,, कमलगट्टा . ... ... जायफल ४॥ " ... ... गजकेशर ... " ... कायफल ४॥ , साँच पथरी ... ... ४॥ , ... ... ... २२॥ ,, इनको कूट-पीस और छानकर रख लो। सवेरे ही गायके घी और शहदके साथ रोज खाओ। ईश्वर-दयासे गर्भ रहेगा। पथ्यदूध-भात । १ मास तक अपथ्य पदार्थ त्यागकर दवा खाओ। (६५) निर्गु एडी __२४ तोले जायफल लजवन्ती जावित्री ईसबगोल मगजी शतावर शिलाजीत (शुद्ध) ... २ तोले सबको कूट-पीस और छान लो, फिर ५ सेर गायके दूधमें औटाओ; जब सूखकर चूर्ण-सा हो जाय, तब तोलकर दवासे दूनी मिश्री मिला दो। फिर एक सेर गायका घी और ४ तोले बंगेश्वर मिला दो। जब सब एक दिल हो जायँ, सुपारीके बराबर रोज़ १ या २ महीने तक खाओ। अपथ्य-खट्टा, मीठा, चरपरा । इसके सेवन करनेसे, ईश्वर-कृपासे, १० मासमें बालक होगा। (६६) अबीध मोती आधा, मूंगा आधा और जायफल आधाइन सबको पीसकर अगर बाँझ तीन दिन पीती है, तो गर्भ रह जाता है। x wwwwwc ५ माशे For Private and Personal Use Only
SR No.020158
Book TitleChikitsa Chandrodaya Part 05
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHaridas
PublisherHaridas
Publication Year1937
Total Pages720
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
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