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स्त्री-रोगोंकी चिकित्सा-बाँझका इलाज | ४२७ (२) गिलास लगाओ। (३) गरम माजून दो। (४) बादी नाश करनेवाले तेल, लेप और खानेकी दवा दो। वायु
बढ़ानेवाले पदार्थोंसे बचाओ। नीचेकी माजून बादी नाश
करनेको अच्छी है:(५) कचूर, दरुनज, जायफल, लौंग, अकाकिया, अजवायन, अज
मोदके बीज और सोंठ-ये सात-सात माशे लो। सिरकेमें पड़ा हुआ जीरा १७॥ माशे और जुन्देवेदस्तर १॥ माशे इन सबको कूट-छानकर, कन्द और शहदमें मिलाकर, माजून बना लो । मात्रा ४॥ माशे । अनुपान-गुनगुना जल । रोगनाश-बादी । नोट-दसवाँ भेद बादीका है । इसमें कोई भी वायुनाशक दवा समझकर दे सकते हो । ऊपरकी माजून उत्तम है, इसीसे लिखी है ।
ग्यारहवाँ भेद । कारण-गर्भाशयमें कड़ी सूजन, रितका या रतक अथवा मस्सा। नतीजा-गर्भाशयका मुंह बन्द हो जाता है। इससे वीर्य गर्भाशयमें
___ नहीं जा सकता । असल बाँझ यही स्त्री है। 'चिकित्सा-- (१) इस रोगका इलाज कठिन है। देख-भालकर हाथ डालना चाहिये,
ऐसा न हो कि उल्टे लेने के देने पड़ जायें । इस रोगमें मांसको गलानेवाली तेज दवा काम देती है।
बारहवाँ भेद । कारण-गर्भ-स्थानका मुँह सामनेसे हट जाय । नतीजा-गर्भाशयमें लिङ्गसे निकला हुआ वीर्य न जा सके।
लक्षण(१) मैथुनके समय गर्भ-स्थानमें दर्द हो । दाई अँगुलीसे गर्भाशयको
टटोले तो मालूम हो जाय, कि उसका मुँह किस तरफ झुका हुआ है।
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