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चिकित्सा-चन्द्रोदय । चिकित्सा-- (१) मोटी करनेके लिये दूध, घी एवं अन्य पुष्टिकारक भोजन दो। (२) खूब आराम कराओ। (३) बेफिक्र कर दो। (४) खूब हँसाओ। (५) .खून बढ़ानेवाली दवा दो ।
आठवाँ भेद । कारण--रजका न बनना। नतीजा--रजोधर्म न होना ।
चिकित्सा-- (१) रजोधर्म जारी करनेवाली दवा दो । इस रोगकी दवाएँ “नष्टातैव-चिकित्सा"के पृष्ठ ४०३-४११ में लिखी हैं।
नवाँ भेद । कारण--गभाशयमें गरम सूजन, कठोरता या निकम्मे घाव । नतीजा--गर्भ न ठहरे। चिकित्सा--रोगानुसार इलाज करो।
दसवाँ भेद । कारण--गर्भाशयमें गाढ़ी हवा।। नतीजा--वीर्य और बालक गर्भ में न ठहरें।
लक्षण(१) पेड़, सदा फूला रहे। (२) बादीकी चीजोंसे तकलीफ हो। . (३) अगर गर्भ ठहर जाय, तो बढ़नेसे पहले गिर पड़े। (४) मैथुनके समय योनिसे हवाकी आवाज़ उसी तरह आवे, जैसे
गुदासे आती है। चिकित्सा(१) अर्क गुलाब और अक़ सौंफ तथा गुलकन्द आदि दो ।
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