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स्त्री-रोगोंकी चिकित्सा-बाँझका इलाज। ४१६ (२) अगर फूलमें मांस बढ़ गया हो, तो काला जीरा, हाथीका नाखून और अरण्डीका तेल-इन तीनोंको महीन पीसकर, पिसी हुई दवामें रुईका फाहा तर करके, तीन दिन तक, योनिमें रखो और चौथे दिन मैथुन करो।
(३) अगर फूलमें कीड़े पड़ गये हों, तो हरड़, बहेड़ा और कायफल-तीनोंको साबुनके पानीके साथ, सिलपर महीन पीस लो। फिर उसमें रुईका फाहा भिगोकर, तीन दिन तक योनिमें रखो । इस उपायसे गर्भाशयके कीड़े नाश हो जायेंगे।
(४) अगर फूल शीतल हो गया हो, तो बच, काला जीरा और असगन्ध,-तीनोंको सुहागेके पानीमें पीस लो। फिर उसमें रुईका फाहा तर करके, तीन दिन तक, योनिमें रखो। इस तरह फूलकी शीतलता नष्ट हो जायगी।
(५) अगर फूल जल गया हो, तो समन्दरफल, सैंधानोन और जरा-सा लहसन,-तीनोंको महीन करके, रुईक फाहेमें लपेटकर, योनिमें रखनेसे आराम हो जाता है।
नोट-अगर इस दवासे जलन होने लगे, तो फाहेको निकालकर फैंक दो। फिर दूसरे दिन उसी तरह फाहा रखो । बस, तीन दिनमें काम हो जायगा । इसे ऋतुकालके पहले दिनसे तीसरे दिन तक योनिमें रखना चाहिये; चौथे दिन मैथुन करना चाहिये। अगर इसी दोषसे गर्भ न रहता होगा, तो अवश्य गर्भ रह जायगा।
(६) अगर फूल या गर्भाशय उलट गया हो, तो कस्तूरी और केशर समान-समान लेकर, पानीके साथ पीसकर गोली बना लो। उस गोलीको ऋतुके पहले दिन भगमें रखो। इस तरह तीन दिन करनेसे अवश्य गर्भाशय ठीक हो जायगा । चौथे दिन स्नान करके मैथुन करना चाहिये । ये छहों उपाय परीक्षित हैं।
हिकमतसे बाँझ होनेके कारण । जिस तरह ऊपर हमने वैद्यक-ग्रन्थोंके मतसे लिखा है कि,
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