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स्त्री-रोगोंकी चिकित्सा-बाँझका इलाज। ४१५ जाय वह बाँझ नहीं है-वह गर्भ रखने या धारण करने योग्य है। जिसका वीर्य पानीके ऊपर तैरता रहे-न डूबे, उसीमें दोष है ।
तीसरी परीक्षा। स्त्री-पुरुष अलग-अलग दो काहू या कद्दूके वृक्षोंकी जड़ोंमें पेशाब करें। जिसके पेशाबसे वृक्ष सूख जायँ, वही बाँझ है और जिसके मूत्रसे वृक्ष न सूखें, वह दुरुस्त है।
___चौथी परीक्षा। मर्दके वीर्यकी परीक्षा-फूल-काँसीके कटोरेमें गरम पानी भर दो। उसमें मर्द अपना वीर्य डाले । अगर वीर्य एकदमसे पानीमें डूब जाय, तो समझो कि मर्द गर्भाधान करने योग्य है, उसका वीर्य ठीक है। अगर वीर्य पानीपर फैल जाय, तो समझो कि यह गर्भाधान करनेयोग्य नहीं है। अगर वीर्य न ऊपर रहे न नीचे जाय, किन्तु बीचमें जाकर ठहर जाय, तो समझो कि, इस वीर्यसे गर्भ तो रह जायगा, पर सन्तान होकर मर जायगी- जियेगी नहीं। ___ स्त्रीके रजकी परीक्षा-एक मिट्टीके गमले में थोड़ेसे सोयेके पेड़ बो दो । उन वृक्षोंकी जड़ोंमें औरत पेशाब करे। अगर पेशाबसे वृक्ष मुर्भा जायँ, तो समझो कि, स्त्रीका रज निर्दोष नहीं है। अगर वृक्ष न मुर्भावें-जैसे-के-तैसे बने रहें, तो समझो स्त्रीका रज शुद्ध है। _____ नोट-अगर पुरुषका वीर्य और स्त्रीका रज सदोष हों, तो दोनोंको वीर्य
और रज शुद्ध करनेवाली दवा खिलाकर, वैद्य रज-वीर्यको शुद्ध करे और दवा खिलाकर फिर परीक्षा करे । अगर दुरुस्त पावे तो गर्भाधानकी आज्ञा दे। रज वीर्य शुद्ध होने की दशामें स्त्री-पुरुष अगर मैथुन करेंगे, तो निश्चय ही गर्भ रह जायगा । “चिकित्सा-चन्द्रोदय" चौथे भागमें वीर्यको शुद्ध, पुष्ट और बलवान् करनेवाले अनेक आज़मूदा नुसत लिखे हैं। रज और वीर्य शुद्ध करनेवाली चन्द दवायें हम यहाँ भी लिखते हैं।
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