________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
سامی یوسی
चिकित्सा-चन्द्रोदय । देनेसे पहले, दोनोंकी परीक्षा करनी चाहिये । परीक्षासे ही रज-वीर्यके दोष मालूम होंगे। नीचे हम परीक्षा करनेकी चन्द तरकीबें लिखते हैं। स्त्री-पुरुष के बाँझपनेकी परीक्षा-विधि ।
___ पहली परीक्षा। “बङ्गसेन" में लिखा है:
बीजस्य प्लवनं न स्यात् यदि मूत्रञ्च फेनिलम् ।
पुमान्स्याल्लक्षणरेतेविपरीतैस्तु षण्ढकः ।। जिसका बीज पानीमें डालनेसे न डूबे और जिसके पेशाबमें झाग उठते हों, उसे मर्द समझो। जिसका बीज पानीमें डूब जाय और पेशाबमें झाग न उठे, उसे नामर्द या नपुंसक समझो।
नोट--बङ्गसेन लिखते हैं, वीर्य जलमें न डूबे तो मर्द समझो और डूब जाय तो नामर्द समझो । पर अन्य ग्रन्थकार लिखते हैं, अगर वीर्य एकबारगी हो पानीके भीतर चला जाय--डूब जाय, तो उसे गर्भाधान करने लायक समझो। हमने परीक्षा करके भी इसी बातको ठीक पाया है। हाँ, पेशाबमें झाग उठना बेशक मर्दुमीकी निशानी है।
"इलाजुल गुर्वा में लिखा है, दो मिट्टीसे भरे हुए नये गमलों में बाकले या गेहूँ के या जौके सात-सात दाने डाल दो। फिर उन गमलोंमें स्त्री-पुरुष अलग-अलग सात दिन तक पेशाब करें। जिसके गमलेके दाने उग आवें, वह बाँझ नहीं है और जिसके गमलेके दाने न उगें, वही बाँझ है।
दूसरी परीक्षा। दो प्यालोंमें पानी भर दो। फिर उन प्यालोंमें स्त्री-पुरुष अलग-अलग अपना-अपना वीर्य डालें। जिसका वीर्य पानीमें बैठ
For Private and Personal Use Only