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चिकित्सा-चन्द्रोदय ।
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रज-शोधक नुसखा । बबूलका गोंद
३ तोले छोटी इलायचीके दाने
.... १ , नागौरी असगन्ध शतावर
इन चारों दवाओंको कूट-पीसकर छान लो और रख दो। इस चूर्णकी मात्रा ३ या ४ माशे तक है । एक एक मात्रा सवेरे-शाम फाँककर, ऊपरसे गायका धारोष्ण दूध एक पाव पीओ। जब तक आराम न हो जाय या कम-से-कम ४० दिन तक इस दवाको खाओ। इसके सेवन करनेसे रज निश्चय ही शुद्ध हो जाती है । परीक्षित है। अपथ्यमैथुन और गरम पदार्थ ।
वीर्य-शोधक नुसखा । सेमरकी मूसली बीजबन्द मखाने तालमखाना सफेद मूसली गुलसकरी कामराज
इन सबको कूट-पीसकर कपड़ेमें छानकर रख लो। मात्रा ६ माशेकी है। सन्ध्या-सवेरे एक-एक मात्रा फाँककर, अरसे मिश्रीमिला गायका धारोष्ण दूध पीओ। कम-से-कम ४० दिन तक इस चूर्णको खाओ । अपथ्य-मैथुन, तेल, मिर्च, खटाई वगैरः गरम पदार्थ । परीक्षित है।
बाँझोंके भेद । योनिरोग और नष्टार्तव प्रभृति बाँझ होनेके कारण हैं, पर इनके
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