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चिकित्सा-चन्द्रोदय । · नोट--अगर वातका कोप ज़ियादा होता है, तो यह गाँठ रूखी और फटी-सी होती है। अगर पित्त ज़ियादा होता है, ते गाँठमें जलन और सुर्ती होती है, इससे बुखार भी आ जाता है। अगर कफ ज़ियादा होता है, तो उसमें खुजली चलती और रंग नीला होता है। जिसमें तीनों दोषोंके लक्षण होते हैं, उसे सन्निपातज योनिकन्द कहते हैं।
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योनि-रोग-चिकित्सामें याद
रखने-योग्य बातें। HTRAKARMARRORRRRRRRRRRRROR
(१) बीसों प्रकारके योनि-रोग साध्य नहीं होते; कितने ही सहजमें और कितने ही बड़ी दिक्कतसे आराम होते हैं । इनमेंसे कितने ही तो असाध्य होते हैं, पर बाज़ औक़ात अच्छा इलाज होनेसे आराम भी हो जाते हैं । चिकित्सकको योनिरोगके निदान, लक्षण और साध्यासाध्यका विचार करके इलाजमें हाथ डालना चाहिये । (२) योनि रोग आराम करनेके तरीके यह हैं:(क) तेलमें रूईका फाहा तर करके योनिमें रखना। (ख) दवाकी बत्ती बनाकर योनिमें रखना। (ग) योनिमें धूनी या बफारा देना। (घ) दवाओंके पानीसे योनिको धोना। (ङ) योनिमें दवाके पानी वगैरःकी पिचकारी देना । (च) खानेको दवा देना। (छ) अगर योनि टेढ़ी या तिरछी हो गई हो अथवा बाहर निकल आई हो, तो योनिको चिकनी और स्वेदित करके; यानी तेल चुपड़कर और बफारोंसे पसीने निकालकर, उसे यथास्थान स्थापित करना एवं मधुर औषधियोंका वेशवार बनाकर योनिमें घुसाना ।
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