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चिकित्सा चन्द्रोदय |
अगर इनसे बचना चाहो तो नीचे लिखे उपाय करो:
( १ ) बिस्तर, तकिये और गद्द े खूब साफ़ रखो । उन्हें दूसरे - तीसरे दिन देखते रहो। चादरोंको रोज या दूसरे-तीसरे दिन धो लो या धुलवा लो । पलंगों पर किरमिच या और कोई कपड़ा इस तरह मढ़वालो, कि खटमलोंके रहनेको जगह न मिले ।
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( २ ) जब सफ़ेदी कराओ, चूने में थोड़ी-सी गन्धक भी मिला दो । इस तरह सफ़ेदी करानेसे खटमल दीवारों में न रहेंगे ।
(३) घर और खाटों में गन्धककी धूनी दो ।
( ४ ) जिन चीजों से ये न निकलते हों, उनमें गन्धकका धूआँ पहुँचाओ । अथवा मरुवेके काढ़े में नीलाथोथा मिलाकर, उस पानी से उन्हें धो डालो और घरको भी उसी जलसे धोओ । मरुवे और गन्धककी बू खटमलों को पसन्द नहीं ।
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शेर और चीतेके किये
जख्मोंकी चिकित्सा |
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गसेनमें लिखा है, - बाघ, सिंह, भेड़िया, गीदड़, कुत्ता, चौपाये जानवर और जंगली आदमियोंके नाखूनों और दाँतों में विष होता है । इनके नाखूनों और दाँतोंसे घाव होकर, वह स्थान सूज जाता और खून बहता तथा ज्वर हो आता है ।
" तिब्बे अकबरी' में लिखा है, चीते और शेर प्रभृति जानवरों के दाँतों और पंजों में ज़हर होता है । अतः पहले पछने लगाकर विष निकालना चाहिये, उसके बाद लेप वग़ैरः करने चाहियें ।
( १ ) चाय औटाकर, उसीसे शेरका किया हुआ घाव धोओ। फ़ौरन आराम होगा।
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