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शेर और चीतेके किये जख्मोंकी चिकित्सा । ३२५ (२) पछनोंसे मवाद निकालकर, जरावन्द, सौसनकी जड़ और शहद-इन तीनोंको मिलाकर शेर इत्यादिके किये हुए घावोंपर लेप करो। .. (३) ताम्बेका बुरादा, सौसनकी जड़, चाँदीका मैल, मोम और जैतूनका तेल-इन सबको मिलाकर घावपर लगाओ। इस मरहमसे शेर, चीते, बाघ, भेड़िये और बन्दर आदि सभी चौपायोंके किये हुए घाव आराम हो जाते हैं। __ (४) अगर सिंह या शेरका बाल किसी तरह खा लिया जाता है तो बैठते समय पेट में दर्द होता है । शेरका बाल खानेवाला आदमी अगर अरण्डके पत्तेपर पेशाब करता है, तो पत्तेके टुकड़े-टुकड़े हो जाते हैं । यही शेरका बाल खानेकी पहचान है। अगर शेरका बाल खाया हो और परीक्षासे निश्चय हो जाय, तो नीचे लिखे उपाय करोः
(क) कसौंदीके पत्तोंका स्वरस ३ दिन पीओ। (ख ) तीन-चार झींगे निगल जाओ।
(५) भेड़िया, बाघ, तेंदुआ, रीछ, स्यार, घोड़ा और सींगवाले जानवरोंके काटे हुए स्थानपर तेल मलना चाहिये।
(६) मोखेके बीज, पत्ते या जड़-इनमेंसे किसी एकका लेप करनेसे भेड़िये और बाघ आदि नं०५ में लिखे जानवरोंका विष नष्ट हो जाता है।
(७) ईख, राल, सरसों, धतूरेके पत्ते, आकके पत्ते और अर्जुनके फूल--इन सबको मिलाकर, इनकी धूनी देनेसे स्थावर और जंगम दोनों तरहके विष नाश हो जाते हैं। जिस जगह यह धूनी दी जाती है वहाँ सर्प, मैंडक एवं अन्य कीड़े कुछ भी नहीं कर सकते । इस धूनीसे इन सबका विष तत्काल नाश हो जाता है। नं० ५ में लिखे जानवरोंके काटनेपर भी यह धूनी पूरा फायदा करती है, अतः उनके काटनेपर इसे अवश्य काममें लाओ।
(८) बेलगिरी, अरहर, जवाखार, पाढल, चीता, कमल, कुम्भेर
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