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खटमल भगाने के उपाय ।
३२३ चाहियें, क्योंकि जहरीली जौंकोंके काटनेसे खुजली, सूजन, ज्वर और मूर्छा होती है। कोई-कोई लिखते हैं, जलन, पकाव, विसर्प, खुजली और फोड़े-फुन्सी भी होते हैं। कोई सफेद कोढ़का हो जाना भी कहते हैं।
विषैली जौंकों की पहचान । विषैली जौंके लाल, सफेद, घोर काली, बहुत चपल, बीचसे मोटी, रोएँ वाली और इन्द्रधनुषकी-सी धारीवाली होती हैं । इन्हींके काटनेसे उपरोक्त विकार होते हैं। ___ आसाम और दार्जिलिङ्गकी तरफ़ ये पाँवों में चिपट जाती और बड़ी तकलीफ देती हैं, अतः जङ्गलोंमें फिरनेवालोंको टखने तक जूते और पायजामा पहनकर घूमना चाहिये।
चिकित्सा। सिरस, मालकाँगनी, अर्जुनकी छाल, ल्हिसौड़ेकी छाल और बड़, पीपर, गूलर, पाखर और पारस पीपल--इन सबकी छालोंको पानीमें पीसकर पीने और लगानेसे जौंकका काटा हुआ आराम हो जाता है। नोट-जौंकका विष नाश करनेवाले और नुसख 'कीट-विष-चिकित्सा में लिखे हैं।
| खटमल भगानेके उपाय।
PA खाटोंके अन्दर रहते हैं । कलकत्तेमें तो दीवारों, किताबों,
ये तिजोरियोंकी सन्धों और कपड़ोंमें बाज-बाज़ वक्त बुरी As Pe तरहसे भर जाते हैं । रातको चींटियोंकी-सी कतार निकलती है। तड़का होनेसे पहले ही ये अपने-अपने स्थानोंमें जा छिपते हैं। ये मनुष्यका खून पी-पीकर मोटे होते और रातको नींदभर सोने नहीं देते।
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