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बावले कुत्तेके काटेकी चिकित्सा । ३१६ स्थानपर रखकर बाँध दो । इस तरह नियमसे, रोज ताजा आकके दूधमें सिन्दूर मिला-मिलाकर बाँधो। कितने ही दिन इस उपायके करनेसे अवश्य आराम हो जायगा । जब रूई सूख जाय, उतार फेंको। परीक्षित है।
नोट--इस रोगमें पथ्य-पालनकी सख्त ज़रूरत है । मांस, मछली, अचार, चटनी, सिरका, दही, माठा और खटाई आदि गरम और तीक्ष्ण पदार्थ-अपथ्य हैं। ___ (५) अगर बावला कुत्ता काट खाय, तो पुराना घी रोगीको पिलाओ । साथ ही दूध और घी मिलाकर काटे हुए स्थानपर सींचो यानी इनके तरड़े दो।
(६) सरफोंकेकी जड़ और धतूरेकी जड़-इन दोनोंको चाँवलोंके पानीमें पीसकर, गोला बना लो। फिर उसपर धतूरेके पत्ते लपेट दो
और छायामें बैठकर पका लो । फिर निकालकर रोगीको खिलाओ । इससे कुत्तेका विष नष्ट हो जाता है।
(७) धतूरेकी जड़को दूधके साथ पीसकर पीनेसे कुत्तका विष नष्ट हो जाता है। ___ (८) अंकोलकी जड़ चाँवलोंके पानीके साथ पीसकर पीनेसे कुत्तेका विष दूर हो जाता है। ..
( ६ ) कठूमरकी जड़ और धतूरेका फल-इनको एकत्र पीसकर, चाँवलोंके जलके साथ पीनेसे कुत्तेका विष दूर हो जाता है ।
नोट--कठूमर गूलरका ही एक भेद है।
(१०) अंकोलकी जड़के आठ तोले काढ़े चार तोले घी डालकरः पीनेसे कुत्ते का विष नष्ट हो जाता है । परीक्षित है।
(११) लहसन, कालीमिर्च, पीपर, बच और गायका पित्ता--इन सबको सिलपर पीसकर लुगदी बना लो । इस दवाके पीने, नस्यकी तरह घने, अंजन लगाने और लेप करनेसे कुत्ते का विष उतर जाता है।
नोट—यह एक ही दवा पीने, लेप करने, नाकमें सूंघने और नेत्रोंमें आँजनेसे कुत्ते के काटे श्रादमीको आराम करती है।
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