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चिकित्सा-चन्द्रोदय |
श्वान - विष नाशक नुसखे ।
(१) कड़वी तोरई का रेशे समेत गूदा निकालो। फिर इस गूदेको एक पाव पानी में आध घण्टे तक भिगो रखो । शेषमें, इसको मसल-छानकर, बलानुसार, पाँच दिन तक, नित्य, सवेरे पीओ । इससे दस्त और क्रय होकर विष निकल जाता है। बावले कुत्ते का कैसा भी विष क्यों न हो, इस दवा से अवश्य आराम हो जाता है, बशर्ते कि आयु हो, और जगदीशकी कृपा हो ।
नोट- बरसात निकल जाने तक पथ्य रखना बहुत जरूरी है। कड़वी तोरई जंगली होनी चाहिये ।
(२) कुकुर भाँगरेको पीसकर पीने और उसीका लेप करनेसे कुत्त े का विष नष्ट हो जाता है ।
नोट-भाँगरेके पेड़ जलके पासकी ज़मीनमें बहुत होते हैं । इनकी शाखों में कालापन होता है । पत्तोंका रस काला-सा होता है । सफ़ ेद, काले और 1 पीले-तीन तरहके फूलों के भेदसे ये तीन तरहके होते हैं । इसकी मात्रा २ माकी है।
(३) आके दूधका लेप कुत्ते और बिच्छू के काटे स्थानपर लगाने से अवश्य आराम हो जाता है । बहुत ही उत्तम योग है ।
नोट – ऊपरके तीनों नुसख श्रज़मूदा हैं । अनेक बार परीक्षा की है । जिनकी ज़िन्दगी थी, वे बच गये । "वैद्यसर्वस्व में लिखा है:
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विषमर्कपयेोलेपः श्वानवृश्चिकयोर्जयेत् । कौक्कुरु पानलेपाभ्यामथश्वानविषं हरेत् ||
अर्थ वही है जो नं० २ और ३ में लिखा है ।
तो तत्काल, बिना देर किये, थोड़ा-सा सिन्दूर मिलाकर
( ४ ) अगर किसीको पागल कुत्ता या पागल गीदड़ काट खाय, सफ़ेद आक का दूध निकालकर, उसमें उसे रूईके फाहेपर रखकर, काटे हुए
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