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मूषक - विष- चिकित्सा ।
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हो जाता है, दर्द होता है और काटा हुआ स्थान नीला या काला हो जाता है। इसके सिवा, काटा हुआ स्थान निकम्मा होकर, भीतरकी ओर फैलकर दूसरे अङ्गको उसी तरह खराब कर देता है, जिस तरह नासूर कर देता है।
नोट - यूनानी ग्रन्थोंमें लिखा है, चूहे के काटनेपर नीचे लिखे उपाय करो:
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(१) विषको चूस चूसकर खींचो ।
( २ ) काटी हुई जगहपर पछने लगाकर खून निकालो ।
( ३ ) अगर देर होनेसे काटा स्थान बिगड़ने लगे, तो फ़स्द खोलो, दस्त कराग्रो, वमन कराओ, पेशाब लानेवाली और विष-नाश करनेवाली दवाएँ दो । ( ४ ) विष खानेपर जो उपाय किये जाते हैं, उन्हें करो ।
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मूषक - विष- चिकित्सामें याद रखने योग्य बातें |
D000, 3300CE
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( १ ) पहले इस बात का निर्णय करो कि, ठीक चूहेने ही काटा है या और किसी जीवने । बिना निश्चय और निदान किये चिकित्सा आरम्भ मत कर दो ।
( २ ) चिकित्सा करते समय रोगी, रोगका बलाबल, अवस्था, प्रकृति, देश और काल आदिका विचार कर लो, तब इलाज करो ।
( ३ ) जब चूहेके विषका निश्चय हो जाय, पहले शिरा वेधकर खून निकाल दो और कोई विषनाशक रक्त शोधक दवा रोगीको पिलाओ या खिलाओ। चूहेके दंशको तपाये हुए पत्थर या शीशेसे दाग दो। अगर उसे न जलाओगे, तो बक़ौल महर्षि वाग्भट्ट के तीव्र वेदनावाली कर्णिका पैदा हो जायगी। दंशको दग्ध करके या जलाकर ऊपरसे - सिरस, हल्दी, कूट, केशर और गिलोयको पीसकर लेप कर दो। अगर दागनेकी इच्छा न हो, तो नश्तरसे दंश स्थानको चीरकर या
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