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मूषक-विष-चिकित्सा। (२) आपके मकानमें जितनी मोरियाँ हों, उन सबमें लोहे या पत्थरकी ऐसी जालियाँ लगवा दो, जिनमें होकर पानी तो निकल जाय, पर चूहे या अन्य जानवर न आ-जा सकें। चूहे मोरियोंमें बहुत रहते हैं। ___ (३ ) घरके कोनों या और स्थानों में फालतू चीजोंका ढेर मत लगा रखो। जरूरतकी चीजोंके सिवा कोई चीज़ घरमें मत रखो। बहुतसे मूर्ख टूटे-फूटे कनस्तर, हाँडी-कूड़े, मैले चीथड़े या ऐसी ही और फालतू चीजें रखकर रोग मोल लेते हैं।
( ४ ) ज़रूरी सामानको, जो रोज़ काममें न आता हो, ट्रकों या सन्दूकोंमें रखो । सन्दूकोंको बैञ्चों या तिपाइयोंपर ऊँचे रखो, जिससे उनके नीचे रोज़ झाड़ लग सके और चूहे, साँप, कनखजूरे या और जीव वहाँ अपना अड्डा न जमा सकें। हर समय पहननेके कपड़ोंको ऐसी अलगनियों या खू टियोंपर टाँगो, जिनपर चूहे न पहुँच सकें क्योंकि चूहे जरा-सा सहारा मिलनेसे दोवारोंपर भी चढ़ जाते और उनपर मल-मूत्र त्याग आते हैं। ___ (५) खाने-पीनेके पदार्थ सदा ढके रखो; भूलकर भी खुले मत रखो। जरा-सी गफलतसे प्राण जानेकी आशङ्का है । क्योंकि खाने-पीनेकी चीजोंपर अगर चूहे, मकड़ी, छिपकली और मक्खी आदि पहुँच गये और उनपर विष छोड़ गये, तो आप कैसे जानेंगे ? उन्हें जो भी खायगा, प्राणोंसे हाथ धोयेगा। मक्खियाँ विषैले कीड़े ला-लाकर उन चीजोंपर छोड़ देती हैं और चूहे मल-मूत्र त्यागकर उन्हें विष-समान बना देते हैं। अतः हम फिर जोर देकर कहते हैं, कि आप खाने-पीनेके पदार्थ ढककर बन्द आलमारियोंमें रखो । इस काममें जरा भी भूल मत करो। - (६) चूहोंके पेशाब और मल-मूत्रसे खराब हुए नीले-नीले बर्तनोंको बिना खूब साफ़ किये काममें मत लाओ। जिन घरोंमें बहुत-सा लोहा लक्कड़ पड़ा हो, उन घरोंमें मत जाओ, क्योंकि वहाँ चूहे प्रभृति
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