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मूषक-विष-चिकित्सा।
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दुष्टा भार्या शठं मित्रं भृत्यश्चो उत्तरदायकः । सस च गृहे वासो मृत्युरेव न संशयः ॥
दुष्टा पत्नी, दगाबाज़ मित्र, जवाबदिही करनेवाला नौकर और साँपवाला घर--ये सब मौतकी निशानी हैं; अतः इन्हें त्याग देना चाहिये। नीतिज्ञोंने इन सबको त्याग देने की सलाह दी है, पर चूहे भगाने या चूहोंसे अलग रहने के लिये इतना जोर किसीने भी नहीं दिया है !! ___ हमने देखा है, अनेकों गृहस्थोंके घरों में चूहोंकी पल्टन-की-पल्टन रहती है । आदमीको देखते ही ये बिलों में घुस जाते हैं, पर ज्योंही आदमी हटा कि ये कपड़ोंमें घुसते, खाने-पीनेके पदार्थोंपर ताक लगाते और कोई चीज़ खुली नहीं मिलती तो उसे खोलते और ढक्कन हटाते हैं; और यदि खाने-पीनेके पदार्थ खुले हुए मिल जाते हैं, तो
आनन्दसे उन्हें खाते, उन्हींपर मल-मूत्र त्यागते और फिर बिलोंमें घुस जाते हैं। गृहस्थोंकी कैसी भयङ्कर भूल है ! बेचारे अनजान गृहस्थ क्या जानें कि, इन चूहोंकी वजहसे हमें किन-किन प्राणनाशक रोगोंका शिकार होना पड़ता है ? इसीसे वे इन्हें घरसे निकालनेकी विशेष चेष्टा नहीं करते । सर्प-बिच्छू आदिको देखते ही मनुष्य उन्हें मार डालता है; पागल कुत्तेको देखकर भंगी या अन्य लोग उसे गोली या लाठीसे मार डालते हैं; पर चूहोंकी उतनी पर्वा नहीं करते ! गृहस्थोंको इन घोर प्राणघातक जीवोंसे बचनेकी चेष्टा अवश्य करनी चाहिये क्योंकि निर्विष चूहों में ही विषैले चूहे भी मिले रहते हैं। मालूम नहीं होता, कौनसा चूहा विषैला है। अतः सभी चूहोंको घरसे निकाल देना परमावश्यक है। बहुतसे अन्धविश्वासी चूहोंको गणेशजीका वाहन या सवारी समझकर नहीं छेड़ते । वे समझते हैं, कि गणेशजी नाराज हो जायँगे । अब इस युगमें ऐसा अन्धविश्वास ठीक नहीं । अतः हम चूहोंको भगा देनेके चन्द उपाय लिखते हैं:
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