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चिकित्सा-चन्द्रोदय । - नोट-सेबका रुब्ब, बिहीका रुब्ब, काहूका शीरा, कासनीका शीरा, ककड़ीखीरेका शीरा, लम्बी घीया, जौका पानी और कपूरकी टिकिया-ये भी इस मौकेपर लाभदायक हैं। . (६) बिच्छूके काटे हुए आदमीको ना-बराबर घी और शहद मिला हुआ दूध अथवा बहुत-सी खाँड़ मिलाया हुआ दूध पिलाना हितकारी है। वाग्भट्टने कहा है
लेपः सुखोष्णश्च हितः पिण्याको गोमयोऽपि वा।
पाने सर्पिर्मधुयुतं क्षीरं वा भूरिशर्करम् ॥ . बिच्छूकी काटी हुई जगहपर खली या गोबरका सुहाता-सुहाता लेप हितकारी है। इसी तरह घी और शहद मिला हुआ दूध या ज़ियादा चीनी मिला दूध पथ्य है । उन्हीं वाग्भट्ट महोदयने बहुत ही भयङ्कर बिच्छूके काटनेपर दही और घी मिलाकर पिलानेकी राय दी है । आप कहते हैं, बिच्छूके काटे हुए आदमीको गरम, चिकना, खट्टा, मीठा, बादीको नाश करनेवाला भोजन देना चाहिये ।
नोट--यूनानी हकीम भी दूध पीने की राय देते हैं ।
बिच्छू-विष-नाशक नुसखे ।
(१) "तिब्बे अकबरी' में लिखा है-साढ़े चार माशे हींगको ३३॥ माशे शराबमें मिलाकर, बिच्छूके काटे हुएको पिलाओ। अवश्य वेदना कम हो जायगी।
(२) परीक्षा करके देखा है, थोड़ा-थोड़ा साँभर नोन खिलानेसे बिच्छूके काटे हुएको शान्ति मिलती है।
(३) लहसन, हींग और अकरकरा इन तीनोंको शराबमें मिलाकर खिलानेसे बिच्छूका काटा आराम हो जाता है ।
(४) अरीठे चबानेसे भी बिच्छूका जहर उतर जाता है।
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