________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
बिच्छूकी चिकित्सामें याद रखने योग्य बातें। २५६ चीरकर वहाँका खून निकाल देना चाहिये । इसके भी बाद, किसी विष-नाशक काढ़े वगैरका उस जगह तरड़ा देना और फिर लेप
आदि कर देना चाहिये । साथ ही खानेके लिये भी कोई उत्तम परीक्षित दवा देनी चाहिये। अगर भूख लगी हो या खुश्की हो, तो कच्चे दूधमें गुड़ मिलाकर पिलाना चाहिये । अथवा तज, तेजपात, इलायची और नागकेशर २३ माशे चूर्ण डालकर गुड़का शर्बत बना देना चाहिये।
(८) यूनानी अन्थोंमें लिखा है,-बिच्छूके काटे हुएको पसीने निकालनेवाली दवा देनी चाहिये या कोई ऊपरी उपाय ऐसा करना चाहिये, जिससे पसीने आवें। जिस अङ्गमें डंक मारा हो, अगर उस अङ्गसे पसीने निकाले जाय तो और भी अच्छा । बिच्छूके काटनेपर पसीने निकालना, हम्माममें जाना और वहाँ शराब पीना हितकारी है।
अगर जरारा बिच्छूने, जिसकी दुम धरतीपर घिसटती चलती है, काटा हो तो नीचे लिखे हुए उपाय करोः- .. (क) पहले पछनोंसे जहरको चूसो। पछनोंके भीतर धुली हुई
रूई भर लो, नहीं तो चूसनेवालेपर भी विपद् आ सकती है। (ख) काटे हुए स्थानको चीरकर हड्डी तकका मांस निकालकर
फेंक दो और फिर गरम तपाये हुए लोहेसे उस जगहको
दाग दो। (ग) इसके बाद फस्द खोलो। (घ) अगर दाग न सको, तो परफयून और जुन्देबेदस्तर उस
जगहपर रखो और उसके इर्द-गिर्द गिले अरमनी और
सिरकेका लेप करो। (ङ) ताजा दूध पिलाओ। (च) अगर जीभमें सूजन हो, तो नीचेकी रग खोल दो। (छ) कासनीका पानी और सिकञ्जबीन मिलाकर कुल्ले कराओ। (ज) अगर रोगीका पेट फूल गया हो, तो हुकना करो।
For Private and Personal Use Only