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गुहेरेके विषकी चिकित्सा।।
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वर्णन । KALK हेरे पाँच तरहके होते हैं । इसका विष सर्पकी *गु अपेक्षा भी मारक होता है । “सुश्रुत" में लिखा है, प्रतिNR सूर्य, पिङ्गभास, बहुवर्ण, महाशिरा और निरूपम इस तरह पाँच प्रकारके गुहेरे होते हैं । गुहेरेके काटनेसे साँपके समान वेग होते तथा नाना प्रकारके रोग और गाँठे या गिलटियाँ हो जाती हैं ।
इसको बहुत कम लोग जानते हैं, क्योंकि यह जीव बहुत कम पैदा होता है । यह घोर बनोंमें होता है। सुश्रुतके टीकाकार डल्लन मिश्र लिखते हैं:
कृष्णसर्पण गोधायां भवेद्यस्तु चतुष्पदः ।
सपो गौधेरको नाम तेन दष्टोन जीवति ॥ काले साँप और गोहके संयोगसे गुहेरा पैदा होता है । इसके चार पैर होते हैं । इसका काटा हुआ नहीं जीता। वाग्भट्टमें लिखा है:--
गोधासुतस्तु गौधेरो विषे दर्वीकरैः समः । गोहका पुत्र गुहेरा होता है और विषमें वह दर्बीकर साँपोंके समान होता है। - गुहेरा गोहके जैसा होता है। गोहपर काली-काली लकीरें नहीं होती; पर इसपर काली-काली धारियाँ होती हैं। इसकी जीभ सर्पके जैसी बीचमेंसे फटी हुई होती है और यह जीभ भी सर्पकी तरह ही निकालता है।
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