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. चिकित्सा-चन्द्रोदय । .... तगरके वृक्ष हिमालय प्रभुति उत्तरीय पर्वतोंपर बहुत होते हैं। वृक्ष बड़ा होता है, पत्त कनेरसे लम्बे-लम्बे और फूल छोटे-छोटे, पीले रङ्गके, पाँच पंखड़ीवाले होते हैं । यद्यपि दोनों ही तगर विष-नाशक होती हैं, पर सर्प-विषके लिये पिण्डी तगर विशेष गुणकारी है। बंगलामें तगर पादुका, गुजरातो और मरहठीमें पिण्डीतगर और लैटिनमें गारडिनियाफ्लोरिबण्डा कहते हैं। - (२६ ) बाग़की कपासके पत्तोंका चार या पाँच तोले स्वस्त साँपके काटे आदमीको पिलाने और उसीको काटे स्थानपर लगानेसे जहर नष्ट हो जाता है। अगर यही स्वरस पिचकारी द्वारा शरीरके भीतर भी पहुँचाया जाय, तो और भी अच्छा। एक विश्वासी मित्र इसे अपना परीक्षित नुसखा बताते हैं। हमें उनकी बातमें ज़रा भी शक नहीं। - नोट-कपासके पत्ते और राई--दोनोंको एकत्र पीसकर, बिच्छूके काटे स्थानपर लेप करनेसे बिच्छूका विष नष्ट हो जाता है। रविवारके दिन खोदकर लाई हुई कपालकी जड़ चबानेसे भी बिच्छूका ज़हर उतर जाता है। . (२७ ) सफ़ेद कनेरके सूखे हुए फूल ६ माशे, कड़वी तम्बाकू ६ माशे और इलायचीके बीज २ माशे,--इन तीनोंको महीन पीसकर कपड़ेमें छान लो। इस नस्यको शीशीमें रख दो। इस नस्यको सैं घनी तमाखूकी तरह सूघनेसे साँपका विष उतर जाता है। परीक्षित है। - (२८) साँपके काटे आदमीको नीमके, खासकर कड़वे नीमके, पत्ते और नमक अथवा कड़वे नीमके पत्ते और कालीमिर्च खूब चबवाओ । जब तक ज़हर न उतरे, इनको बराबर चबवाते रहो। जब तक जहर न उतरेगा, तब तक इनका स्वाद साँपके काटे हुएको मालूम न होगा, पर ज्योंही जहर नष्ट हो जायगा, इनका स्वाद उसे मालूम देने लगेगा । साँपने काटा है या नहीं काटा है, इसकी परीक्षा करनेका यही सर्वोत्तम उपाय है । दिहातघालोंको जब सन्देह होता है, तब वह नीमके पत्ते चबवाते हैं। अगर ये कड़वे लगते हैं, तब तो समझा जाता है कि
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