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सर्प-विषकी सामान्य चिकित्सा ।
२३५ साँपने नहीं काटा, खाली वहम है । अगर कड़वे नहीं लगते, तब निश्चय हो जाता है कि, साँपने काटा है। इन पत्तोंसे कोरी परीक्षा ही नहीं होती, पर रोगीका विष भी नष्ट होता है । साँपके काटेपर कड़वे नीमके पत्ते रामवाण दवा है । यद्यपि नीमके पत्तोंसे सभी साँपोंके काटे हुए मनुष्य आराम नहीं हो जाते, पर इसमें शक नहीं कि, अनेक आराम हो जाते हैं । परीक्षित है ।।
नोट-नीमके पत्तोंका या छालका रस बारम्बार पिलानेसे भी साँपका ज़हर उतर जाता है। अगर आप यह चाहते हैं, कि साँपका ज़हर हमपर असर न करे, तो आप नित्य--सवेरे ही-कड़वे नीमके पत्त सदा चबाया करें ।
(२६ ) सेंधानोन १ भाग, कालीमिर्च १ भाग और कड़वे नीमके फल २ भाग,-इन तीनोंको पीसकर, शहद या घीके साथ खिलानेसे स्थावर और जंगम दोनों तरहके विष उतर जाते हैं ।
.. (३०) साँपके काटे आदमीको बहुत-सा लहसन, प्याज और राई खिलाओ । अगर कुछ भी न हो, तो यह घरेलू दवा बड़ी अच्छी है। . - नोट- राईसे साँप बहुत डरता है। अगर आप साँपकी राहमें राईके दाने फैला दें, तो वह उस राहसे न निकलेगा। अगर आप राईको नौसादर और पानीमें घोलकर साँपके बिल या बाँबीमें डाल दें तो वह बिल छोड़कर भाग जायगा । ___ (३१) हिकमतके ग्रन्थोंमें लिखा है:-अगर साँपका काटा हुआ बेहोश हो, पर मरा न हो, तो “कुचला" पानीमें पीसकर उसके गलेमें डालो और थोड़ा-सा कुचला पीसकर उसकी गर्दन और शरीरपर मलो; इन उपायोंसे वह अवश्य होशमें आ जायगा।
(३२) एक हकीमी पुस्तकमें लिखा है, मदारकी तीन कोंपलें गुड़में लपेटकर खिलानेसे साँपका काटा आराम हो जाता है; पर मदारकी कोंपलें खिलाकर, ऊपरसे घी पिलाना परमावश्यक है। । (३३ ) मदारकी चार कली, सात कालीमिर्च और एक माशे इन्द्रायण - इन तीनोंको पीसकर खिलानेसे साँपका काटा आराम हो जाता है।
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