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- चिकित्सा-चन्द्रोदय । ... लगा दो। इसके लगानेसे क़य या वमन शुरू होंगी और साँपका काटा आदमी होशमें आ जायगा। होशमें आते ही और उपाय करो।
— "तिब्बे अकबरी"में लिखा है:--साँपके काटे हुएको दो या तीन जमालगोटे छीलकर खिलायो । साथ ही छिला हुआ जमालगोटा, एक मूंगकी बराबर पीस कर, रोगीकी आँखोंमें ऑजो । जमालगोटा खिलाकर, जहाँ साँपने काटा हो उस जगह, सींगीकी तरह खूब चूसो, ताकि शरीरमें ज़हरका असर न हो । हकीम साहब इसे अपना आज़मूदा उपाय लिखते हैं। - जमालगोटेका सेवन अनेक हकीम-वैद्योंने इस मौक पर अच्छा बताया है । यद्यपि हमने परीक्षा नहीं की है, तथापि हमें इसके अक्सीर होने में सन्देह नहीं ।
(७) दो या तीन जमालगोटेकी मीगियोंकी गिरी और १ तोले जंगली तोरई-इन दोनोंको पानीके साथ पीसकर और पानी में ही घोलकर पिला देनेसे साँपका जहर उतर जाता है। - नोट -दन्तीके बीजोंको जमालगोटा कहते हैं। ये अरण्डीके बीज-जैसे होते हैं। इनके बीचमें जीभी-सी होती है, उसीसे क्रय होती हैं। मीगियों में तेल होता है । वैद्य लोग जमालगोटेकी चिकनाई दूर कर देते हैं, तब वह शुद्ध और खानेयोग्य हो जाता है। दवाके काममें बीज ही लिये जाते हैं। जमालगोटा कोठेको हानिकारक है, इसीसे हकीम लोग इसके देनेकी मनाही करते हैं। घी, दूध, माठा या केवल घी पीनेसे इसका दर्प नाश होता है । इसकी मात्रा १ चाँवलकी है। जमालगोटा कफ-नाशक, तीक्ष्ण, गरम और दस्तावर है। जमालगोटेके शोधने की विधि हमने इसी भागमें लिखी है।
(८) बड़के अंकुर, मँजीठ, जीवक, ऋषभक, मिश्री और कुम्भेरइनको पानीमें पीसकर, पीनेसे मण्डली सर्पका विष शान्त हो जाता है।
(६) रेणुका, कूट, तगर, त्रिकुटा, मुलेठी, अतीस, घरका धूआँ और शहद-इन सबको मिला और पीसकर पीनेसे साँपका विष नाश हो जाता है। । (१०) बालछड़, चन्दन, सेंधानोन, पीपर, मुलेठी, कालीमिर्च, कमल और गायका पित्ता-इन सबको एकत्र पीसकर, आँखोंमें आँजनेसे विषप्रभावसे मूछित या बेहोश हुआ मनुष्य भी होशमें आ जाता है ।
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