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सर्प-विषकी सामान्य चिकित्सा। २२६. (२) चौलाईकी जड़, चाँवलोंके पानीके साथ, पीसकर पीनेसे मनुष्य तत्काल निर्विष होता है; यानी उसपर जहरका असर नहीं रहता।
(३) काकादिनी अर्थात् कुलिकाकी जड़की नास लेनेसे कालका काटा हुआ भी आराम हो जाता है।
(४) जमालगोटेकी मींगियोंको नीमकी पत्तियोंके रसकी २१ भावना दो। इन भावना दी हुई मीगियोंको, आदमीकी लारमें घिस कर, आँखोंमें आँजो । इनके आँजनेसे साँपका विष नष्ट हो जाता और मरता हुआ मनुष्य भी जी जाता है ।
(५) नीबूके रसमें जमालगोटेको घिसकर आँखोंमें आँजनेसे साँपका काटा आदमी आराम हो जाता है। __नोट-इलाजुलगुर्बा में लिखा है-कालीमिर्च सात माशे और जमालगोटेकी गिरी सात माशे-इन दोनोंको तीन काग़ज़ी नीबुओंके रसमें घोटकर, कालीमिर्च-समान गोलियाँ बना लो। इनमेंसे एक या दो गोली पत्थरपर रख पानीके साथ पीस लो और साँपके काटे हुए श्रादमीकी आँखोंमें आँजो और इन्हींमेंसे २।३ गोलियाँ खिला भी दो । अवश्य आराम होगा।
(६) अकेले जमालगोटेको “घी' में पीसकर, शीतल जलके साथ, पीनेसे साँपका काटा हुआ आराम हो जाता है। "वैद्यसर्वस्व"में लिखा है:
किमत्र बहुनोक्नेन जयपालनेनैव तत्क्षणम् ।
घृतं शीताम्बुना पेयं भंजनं सर्पदंशके ॥ बहुत बकवादसे क्या लाभ ? केवल जमालगोटेको धीमें पीसकर, शीतल जलके साथ, पीनेसे साँपका काटा हुआ तत्काल आराम हो जाता है।
नोट-जमालगोटेको पानीमें पीसकर, बिच्छूके काटे स्थानपर लेप करने से बिच्छूका ज़हर उतर जाता है।
"मुजरंबात अकबरी में लिखा है-अगर साँपका काटा आदमी बेहोश हो, तो उसके पेटपर-नाभिके उपर--इस तरह उस्तरा लगाश्रो कि चमड़ा छिल जाय, पर खून न निकले। फिर उस जगहपर, जमालगोटा पानीमें पीसकर
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