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चिकित्सा-चन्द्रोदय ।
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पार्थिव सोके लक्षण । पृथ्वीपर रहनेवाले साँपोंको पार्थिव साँप कहते हैं। मनुष्योंको यही काटते हैं । इनकी दाढ़ोंमें विष रहता है। ये पाँच प्रकारके होते हैं:- (१) भोगी, (२) मण्डली, (३) राजिल, (४) निर्विष और (५) दोगले ।
ये पाँचों ८० तरहके होते हैं:(१) दर्बीकर या भोगी........ (२) मण्डली (३) राजिल (४) निर्विष (५) वैकरंज और इनसे पैदा हुए .......
कुल ८० -- साँपोंकी पैदायश । साँपोंकी पैदायशके सम्बन्धमें पुराणों और वैद्यक-ग्रन्थों में बहुतकुछ लिखा है। उसमेंसे अनेक बातोंपर आजकलके विद्याभिमानी बाबू लोग विश्वास नहीं करेंगे, अतः हम समयानुकूल बातें ही लिखते हैं।
वर्षाऋतुके आषाढ़ मासमें साँपोंको मद आता है। इसी महीने में वे कामोन्मत्त होकर, निहायत ही पोशीदा जगहमें, मैथुन करते हैं। यदि इनको कोई देख लेता है, तो ये बहुत ही नाराज होते हैं और उसे काटे बिना नहीं छोड़ते। कितने ही तेज़ घुड़सवारोंको भी इन्होंने बिना काटे नहीं छोड़ा। - हाँ, असल मतलबकी बात यह है कि, आषाढ़में सर्प मैथुन करते हैं, तब सर्पिणी गर्भवती हो जाती है। वर्षाभर वह गर्भवती रहती है
और कातिकके महीनेमें, दो सौ चालीस या कम-ज़ियादा अण्डे देती है । उनमेंसे कितने ही पकते हुए अण्डोंको वह स्वयं खा जाती है।
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