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पर अक्सर काम करनेवाले अचूक नुसखे लिखे हैं । दिहाती लोग, बिना एक पैसा भी खर्च किये, सब तरहके विषैले जानवरोंसे अपनी जीवन रक्षा कर सकेंगे ।
तीसरे खण्ड में स्त्रियोंके प्रायः सभी रोगोंके निदान - कारण, लक्षण और चिकित्सा खूब समझा-समझाकर विस्तार से लिखी है। एक-एक बात आगे-पीछे तीन-तीन जगह लिखनेकी भी दरकार समभी है, तो तीन ही जगह लिखी है; विद्वान् लोग पुनरुक्ति-दोष बतलायेंगे, इसकी परवा नहीं की है । पाठकोंको सुभीता हो, वही काम किया है । इस खण्ड में पहले प्रदररोग और सोम-रोगके निदान - लक्षण और चिकित्सा लिखी है। उसके बाद योनिरोगों और मासिक-धर्मकी चिकित्सा लिखी है। उसके भी बाद बाँके दोष नष्ट होकर, बन्ध्या के पुत्र होनेकी
पूर्व तरकीबें लिखी हैं और गर्भ गिराने या मरा बच्चा पेटसे निकालने, योनिदोष निवारण करने, मूढगर्भ निकालने, प्रसूताकी चिकित्सा करने, धायका दूध शुद्ध करने और बढ़ानेके अत्युत्तम उपाय लिखे हैं। जो लोग ज़रा भी ध्यान देंगे, वे आसानीसे स्त्रियोंको रोगमुक्त करके उनके आशीर्वाद-भाजन होंगे। जिनके सन्तान नहीं होती, जो पुत्र पानेके लिये मारे-मारे फिरते हैं, उनके सहज में पुत्र होंगे। स्त्रियाँ सहज में, बिना बहुत तकलीफ के बच्चे जन सकेंगी ।
इसी खण्ड में हमने राजयक्ष्मा के भी निदान-लक्षण और चिकित्सा विस्तार से लिखी है, क्योंकि इस मूँजी रोगसे हमारे देशके लाखों स्त्री-पुरुष बेमौत मरते हैं । जब यह रोग बढ़ जाता है, करोड़ों खर्च करनेवाले सेठ साहूकार और राजा-महाराजा भी अपने प्यारों को बचा नहीं सकते। जो लोग इस खण्डको पढ़ेंगे, वे रोगके कारण जान जानेसे सावधान हो जायँगे और जिन्हें यह रोग होगा, वे सहज में अपना इलाज आप कर सकेंगे । यद्यपि इस रोगका इलाज सद्वैद्यसे ही कराना चाहिये, पर जो वैद्य - डाक्टरको बुला नहीं सकते, दवा के लिए चार पैसे भी खर्च कर नहीं सकते, वे कौड़ियोंकी दवा, जंगलकी
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