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चिकित्सा-चन्द्रोदय । कपाल और नाकपर, अफीम पानी में पीसकर लेप करो। अगर पेटमें कोई रोग हो, तो वहाँ भी अफीमका लेप करो।
(१३) अगर शरीरके किसी भागमें दर्द हो, तो आप अफीमका लेप कीजिये अथवा अफीमका तेल लगाइये अथवा अफीम और सोंठको तेलमें पकाकर, उस तेलको दर्दकी जगहपर मलिये, अवश्य लाभ होगा।
नोट--शरीरके चमड़ेपर अफीम लगाते समय, इस बातका ध्यान रखो कि, वहाँ कोई घाव, छाला या फटी हुई जगह न हो । अगर फटी, छिली या घावकी जगह अफीम लगानोगे, तो वह खूनमें मिलकर नशा या ज़हर चढ़ा देगी।
(१४) अगर पसलीमें जोरका दर्द हो, तो आप वहाँ अफीमका लेप कीजिये अथवा सोंठ और अफीमका लेप कीजिये-अवश्य लाभ होगा। परीक्षित है।
(१५) अफीम और कनेरके फूल एकत्र पीसकर, नारू या बालेपर लगानेसे नारू आराम हो जाता है।
(१६) अगर रातके समय खाँसी ठहर-ठहरकर बड़े जोरसे आती हो, रोगीको सोने न देती हो, तो जरा-सी अफीम देशी तेलके दीपककी लौपर सेककर खिला दो; अवश्य खाँसी दब जायगी।
नोट-एक बार एक आदमीको सर्दीसे जुकाम और खाँसी हुई। मारवाड़के एक दिहातीने जरासी अफीम एक छप्परके तिनकेपर लगाकर आगपर सेकी और रोगीको खिला दी। ऊपरसे बकरीका दूध गरम करके और चीनी मिलाकर पिलाया । इस तरह कई दिन करनेसे उसकी खाँसी नष्ट हो गई। सवेरे हो उसे दस्त भी साफ होने लगा। उसने हमारे सामने कितनी ही डाक्टरो दवाएँ खाई पर खाँसी न मिटी, अन्तमें अफीमसे इस तरह मिट गई।
(१७) अनेक बार, गर्भवती स्त्रीके आस-पासके अवयवोंपर गर्भाशयका दबाव पड़नेसे जोरकी खाँसी उठने लगती है और बारम्बार क्रय होती हैं। गर्मिणी रात-भर नींद नहीं ले सकती। इस तरहकी खाँसी भी, अपरके नोटकी विधिसे अफीम सेककर खिलानेसे, फौरन बन्द हो जाती है। परीक्षित है।
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