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चिकित्सा-चन्द्रोदय ।
पास ले आये । हमने उसे यही “समोरगज-केशरी बटी” खानेकी और “नारायण तैल" सारे शरीरमें मलने की सलाह दी । जगदीशकी दयासे, पहले दिन ही फायदा नज़र आया और १६ दिनमें रोगी अपने बलसे चलने-फिरने लगा। आज वह अानन्दसे बाजार गया है। ये गोलियाँ गठिया रोगपर भी रामवाण साबित हुई हैं।
(३) अफीम और कुचलेको तेलमें पीसकर, नसोंके दर्दपर मलने और ऊपरसे गरम करके धतूरेके पत्ते बाँधनेसे लँगड़ापन आराम हो जाता है। आदमी अगर प्रारम्भमें ही इस तेलको लगाना आरम्भ कर दे, तो लँगड़ा न हो । परीक्षित है ।
(४) अगर अजीर्ण जोरसे हो और दस्त होते हों, तो आप रेंडीके तेल या किसी और दस्तावर दवामें मिलाकर अफीम दीजिये, फौरन लाभ होगा । परीक्षित है।
(५) केशर और अफीम बराबर-बराबर लेकर घोट लो। फिर इस दवामेंसे चार चाँवल-भर दवा "शहद में मिलाकर चाटो। इस तरह कई दफ़ा चाटनेसे अतिसार रोग मिट जाता है । परीक्षित है।
(६) एक रत्ती अफीम बकरीके दूधमें घोटकर पिलानेसे पतले दस्त और मरोड़ीके दस्त आराम हो जाते हैं । परीक्षित है।
(७) अगर पित्तज पथरीके नीचे उतर जानेसे, यकृतके नीचे, पेटमें, बड़े जोरोंका दर्द हो, रोगी एकदम घबरा रहा हो, कल न पड़ती हो, तो उसे अफीमका करूँ बा या घोलिया-जलमें घोली हुई अफीम दीजिये; बहुत जल्दी आराम होगा। दर्दसे रोता हुआ रोगी हँसने लगेगा।
(८) नीबूके रसमें अफीम घिस-घिसकर चटानेसे अतिसार आराम हो जाता है। . (६) बहुतसे रोग नींद आनेसे दब जाते हैं। उनमें नींद लानेको, बलाबल देखकर, अफीमकी उचित मात्रा देनी चाहिये। : नोट---जब किसी रोगके कारण नींद नहीं प्रावी, तब अफीमकी हल्की या
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