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Achan
देव प्रभावे ए देहरां, रहेशे अविचलहो छठ्ठा आरा सीमके ॥ वांदे आप लब्धिने तरे, नर तेणे भवहो, भवसागर सीमके ॥ श्री० ॥ १९॥ कैलासगिरिना राजीआ, दीओ दरीसण हो कांई म करो ढीलके ॥ अरथी होये उतावला, मतराखोहो अमशुं अडखीलके ॥ श्री० ॥ २०॥ मन मान्याने मेलवे, (आवा मइहो तेन मले मित्तके ॥) आवा स्थाने हो कोइ न मले मित्र के, अंतरजामी मील्या पछी, किम चालेहो, रंग लाग्यो मजीठके ॥ श्री० ॥ २१ ॥ ऋषभजी सिद्धि वधु वर्या, चांदलिया हो ते देउल देखाडके। जले भावे वांदि करी, मारे मुक्तिना हो मुज बार उघाडके ॥ श्री० ॥ २२ ॥ अष्टापदनी जातरा, फल पामहो भावे भणे भासके ॥ श्रीभाव विजय उवझायनो, भाण भाखेहो फले सघली आशके ॥ श्री० ॥ २३ ॥
दस पच्चख्खाण- स्तवन. ॥ दुहा ॥ सिद्धारथ नंदन नमुं, महावीर भगवंत ॥ त्रिगमे बेठा जिनवरु, परखदाबार मिलंत ॥१॥
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